डिजीटल तकनीक, ग्रीन हाइड्रोजन, आईटी में भारत से सहयोग बढ़ाएगा जर्मनी

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Digital technology, नयी दिल्ली 25 फरवरी (वार्ता) : भारत और जर्मनी ने नवान्वेषण एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक बड़ी साझीदारी की रूपरेखा का खुलासा किया जिसमें डिजीटल प्रौद्योगिकी से लेकर ग्रीन हाइड्रोजन का संयुक्त विनिर्माण से लेकर व्यापारिक आदान प्रदान शामिल है। जर्मनी ने सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में भारतीयों की प्रतिभा, दक्षता एवं क्षमता की सराहना करते हुए उनके लिए अपने यहां रोज़गार के अवसरों को खोलने की भी घोषणा की। जबकि भारत ने सीमापार आतंकवाद के खतरे एवं अलगाववाद के खतरे का मिल कर मुकाबला करने की जरूरत पर बल दिया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और जर्मनी के चांसलर ओलोफ शोल्ज़ के बीच यहां हैदराबाद हाउस में हुई द्विपक्षीय बैठक में द्विपक्षीय रणनीतिक साझीदारी को नये आयाम देने के इरादे एवं संकल्प व्यक्त किये गये।

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बैठक में सरकारी स्तर पर दो दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किये गये जबकि बिज़नेस टू बिज़नेस तीन करार किये गये। सरकारी दस्तावेजों में नवान्वेषण एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने संबंधी दृष्टिपत्र और ग्रीन हाइड्रोजन एवं स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने का आशय पत्र शामिल है। बिज़नेस टू बिज़नेस समझौतों में अगले वर्ष 2024 में भारत में एशिया प्रशांत कारोबारी सम्मेलन का भारत में आयोजन संबंधी घोषणापत्र, प्रदूषण रहित ग्रीन रोज़गार के क्षेत्र में कौशल विकास के लिए सहयोग के समझौते शामिल हैं। नवान्वेषण एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने संबंधी दृष्टिपत्र में ऊर्जा साझीदारी एवं ग्रीन हाइड्रोजन सहित स्वच्छ ऊर्जा, भारत जर्मनी कारोबारी संबंधों के ईकोसिस्टम एवं फ्रेमवर्क को मजबूत बनाना, फिनटेक सहित डिजीटल प्रौद्योगिकी तथा दूरसंचार की 5-जी एवं 6-जी तकनीक के बारे में सहयोग के बिन्दुओं को शामिल किया गया है।  मोदी ने अपने वक्तव्य में कहा कि भारत और जर्मनी के मजबूत संबंध, साझा लोकतांत्रिक मूल्यों, और एक दूसरे के हितों की गहरी समझ पर आधारित हैं। दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और आर्थिक आदान-प्रदान का लंबा इतिहास रहा है। विश्व की दो बड़ी लोकतांत्रिक अर्थव्यवस्थाओं के बीच बढ़ता सहयोग, दोनों देशों की जनता के लिए लाभकारी तो है ही, आज के तनावग्रस्त विश्व में इससे एक सकारात्मक संदेश भी जाता है। उन्होंने कहा कि जर्मनी यूरोप में हमारा सबसे बड़ा व्यापारिक साझीदार होने के साथ भारत में निवेश का भी महत्वपूर्ण स्रोत है। आज ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ की वजह से भारत में सभी क्षेत्रों में नए अवसर खुल रहे हैं। इन अवसरों के प्रति जर्मनी की रुचि से हम उत्साहित हैं। उन्होंने कहा कि जर्मनी के कारोबारी प्रतिनिधिमंडल और भारतीय व्यापारियों के बीच एक सफल बैठक हुई, और कुछ अच्छे एवं बड़े महत्वपूर्ण समझौते भी हुए हैं। डिजीटल ट्राँसफॉर्मेशन, फिनटेक, आईटी, टेलीकॉम और आपूर्ति श्रृंखला के विविधीकरण जैसे विषयों पर चर्चा हुई।

मोदी ने कहा कि भारत और जर्मनी त्रिकोणीय विकास सहयोग के तहत तीसरे देशों के विकास के लिए आपसी सहयोग बढ़ा रहे हैं। पिछले कुछ वर्षों में हमारी जनता के बीच पारस्परिक संबंध भी सुदृढ़ हुए हैं। उन्होंने कहा कि गत वर्ष जर्मनी में हमने हरित एवं सतत विकास साझीदारी की घोषणा की थी। इसके माध्यम से, हम जलवायु परिवर्तन कार्रवाई और सतत विकास लक्ष्य के क्षेत्रों में सहयोग बढ़ा रहे हैं। सुरक्षा और रक्षा सहयोग हमारी रणनीतिक साझीदारी का एक महत्वपूर्ण स्तम्भ बन सकता है। इस क्षेत्र में हमारे अनछुई क्षमताओं का पूरी तरह दोहन करने के लिए हम साथ मिलकर प्रयास करते रहेंगे। उन्होंने कहा कि आतंकवाद और अलगाववाद के खिलाफ लड़ाई में भारत और जर्मनी के बीच सक्रिय सहयोग है। दोनों देश इस बात पर भी सहमत हैं कि ‘सीमापार आतंकवाद’ को समाप्त करने के लिए ठोस कार्रवाई आवश्यक है। कोविड महामारी और यूक्रेन संघर्ष के प्रभाव पूरे विश्व पर पड़े हैं। विकासशील देशों पर इनका विशेष रूप से नकारात्मक प्रभाव रहा है। हमने इस बारे मे अपनी साझा चिंता व्यक्त की। हम सहमत हैं कि इन समस्याओं का समाधान संयुक्त प्रयासों से ही संभव है। भारत की जी-20 की अध्यक्ष्ता में भी हम इस बात पर बल दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि यूक्रेन के घटनाक्रम के शुरुआत से ही भारत ने संवाद और कूटनीति के माध्यम से इस विवाद को सुलझाने पर जोर दिया है। भारत किसी भी शांति प्रक्रिया में योगदान देने के लिए तैयार है। हमने इस बात पर भी सहमति दोहराई कि वैश्विक वास्तविकताओं को बेहतर तरीके से दर्शाने के लिए बहुपक्षीय संस्थाओं में सुधार आवश्यक है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार लाने के लिए जी-4 के अंतर्गत हमारी सक्रिय भागीदारी से यह स्पष्ट है। जर्मन चांसलर  शोल्ज़ ने कहा कि भारत ने काफी तरक्की है और यह दोनों देशों के संबंधों के लिए बहुत अहम बात है। आज दुनिया रूस की आक्रामकता के परिणामों को भोग रहीं है। इस समय खाद्य एवं ऊर्जा आपूर्ति सुनिश्चित रखना हमारी प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि हमें प्रतिभाओं एवं कुशल कामगारों की जरूरत है। सूचना प्रौद्योगिकी एवं सॉफ्टवेयर डेवेलपमेंट भारत में बहुत तेजी से विकास कर रहा है और यहां बहुत सारी सक्षम कंपनियां हैं।

उन्होंने कहा, “भारत के पास बहुत प्रतिभा है और हम इसका सहयोग एवं लाभ लेना चाहते हैं। हम भारत की प्रतिभाओं को जर्मनी में आकर्षित एवं भर्ती करना चाहते हैं।  शोल्ज़ ने कहा कि जी-20 के अध्यक्षीय कार्यकाल में भारत के साथ मिल कर इन विषयों को वैश्विक एजेंडा में स्थान दिलवाने के लिए काम किया जाएगा। दोनों देशों के बीच आव्रजन संबंधी करार इसी दिशा में एक आदर्श करार है। विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने बाद में संवाददाताओं से कहा कि दोनों नेताओं के बीच बातचीत में शोल्ज़ की 2012 में पहली यात्रा एवं भारत की आर्थिक एवं तकनीकी प्रगति का प्रभाव छाया रहा। दोनों नेताओं के बीच बहुत ही सकारात्मक एवं सौहार्द्रपूर्ण माहौल में बातचीत हुई। उन्होंने कहा कि बैठक में दोनों देशों के बीच ग्रीन एंड सस्टेनेबल डेवेलपमेेेंट पार्टनरशिप पर जोर दिया गया। बैठक में यह भी बताया गया कि रेलवे ने वर्ष 2030 तक नेट जीरो यानी कार्बन उत्सर्जन को शून्य के स्तर पर लाने का लक्ष्य रखा है।  क्वात्रा ने बताया कि नवान्वेषण एवं प्रौद्योगिकी सहयोग बढ़ाने के दृष्टिपत्र में प्रौद्योगिकी हस्तातंरण, संयुक्त विनिर्माण पर जोर दिया गया। कूटनीतिक मामलों से जुड़े सवालों पर विदेश सचिव ने कहा कि दोनों नेताओं के बीच यूक्रेन एवं रूस के बीच संघर्ष को लेकर विस्तार से गहन विचार विमर्श हुआ है और जर्मनी को भारत के रुख के बारे में अच्छी समझ है। दोनों देशों ने युद्ध के दुष्प्रभावों को दूर करने के लिए उपायों पर भी चर्चा की।  शोल्ज़ की जर्मनी के चांसलर के रूप में यह पहली यात्रा है लेकिन वह हैम्बर्ग के मेयर के रूप में वर्ष 2012 में पहली बार भारत आये थे। वह शाम को राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात करेंगे और कल सुबह बेंगलुरु जाएंगे और कल शाम को बेंगलुरु से ही स्वदेश लौट जाएंगे।

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