Dr. AK Gupta, दरभंगा 23 फरवरी (वार्ता) : बिहार के जाने-माने हृदय रोग विशेषज्ञ एवं उत्तर बिहार के प्रमुख मेडिकल कॉलेजों में शुमार दरभंगा मेडिकल कॉलेज के इंटरनल मेडिसिन विभाग के पूर्व अध्यक्ष एवं प्रोफेसर डॉ० ए० के० गुप्ता ने कहा है कि किसी भी व्यक्ति को उद्देश्य अथवा लक्ष्य तक पहुंचाने में एकाग्रता की अहम भूमिका है। दरभंगा मेडिकल कॉलेज अस्पताल के 98वां स्थापना दिवस के अवसर पर गुरूवार को दरभंगा मेडिकल कॉलेज के प्रेक्षागृह में आयोजित ‘एकाग्रता की शक्ति को कैसे विकसित करें’ विषय पर व्याख्यान को संबोधित करते हुए डॉ० ए० के० गुप्ता ने एकाग्रता के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि आम समझ है कि केवल छात्रों को ही जीवन में सफल होने के लिए एकाग्रता की जरूरत है। वास्तव में ऐसा नहीं है। छात्रों के अलावा प्रायः हर पेशे के लोगों चाहे वे डॉक्टर हों, इंजीनियर हों, वकील हों, वैज्ञानिक हो या ड्राइवर हों, सबों को इसकी आवश्यकता है। उन्हें उनके उद्देश्य अथवा लक्ष्य तक पहुंचाने में एकाग्रता की अहम भूमिका है।
Dr. AK Gupta
वास्तव में देखा जाए तो दुनिया में जितने भी महत्वपूर्ण अनुसंधान हुए हैं उन सब के पीछे वैज्ञानिकों की एकाग्रता ही मुख्य कारण रही है। डॉ० गुप्ता ने कहा कि जीवन में सफलता और असफलता एकाग्रता का ही परिणाम है। जो व्यक्ति जीवन में जितना एकाग्र होता है उसे सफलता उतनी ही ज्यादा मिलती हैं। अपेक्षाकृत कम एकाग्रता वाले लोगों को जीवन में वांछित सफलता नहीं मिल पाती हैं। हमारे जीवन में जिस ढंग से भोजन और ऑक्सीजन की जरूरत होती है ठीक उसी तरह एकाग्रता को विकसित करना भी उतना ही जरूरी होता है। व्यक्ति के अंदर किसी वस्तु, विषय या विचार पर केंद्रित करने की क्षमता को ही एकाग्रता कहते हैं। इससे थोड़ा इतर स्वामी विवेकानंद का कहना था कि यह योग्यता विकसित करना एक अलग चीज है लेकिन इसके साथ साथ जीवन में नकारात्मकता से अपने आप को अलग करना भी एकाग्रता का ही हिस्सा है। जब कोई व्यक्ति अपने उद्देश्यों के प्रति सकारात्मक सोच और जीवन की गलत आदतों से दूरी बनाने में सफल हो जाता है तब जाकर वह मुकम्मल एकाग्रता की स्थिति को प्राप्त करता है। उन्होंने कहा कि एकाग्रता विकसित करने में आज के समय में सोशल मीडिया का अत्यधिक उपयोग सबसे ज्यादा बाधक है। इसके अलावा एक साथ कई काम करने की प्रवृत्ति भी एकाग्रता के लिए चुनौती है। आज के सामाजिक परिवेश में व्यक्ति एक ही साथ टीवी भी देखता है, खाना भी खाता है और कभी-कभी पढ़ाई भी करता रहता है। यह सही नहीं है। ऐसे में एकाग्रता प्राप्त करना संभव नहीं है। इसलिए एक समय में एक ही काम को करना श्रेयस्कर है।
इसके अलावा अल्कोहल का इस्तेमाल और वांछित से कम नींद भी एकाग्रता स्थापित करने में बाधक है। भूखे रहने की स्थिति अथवा कभी किसी दुर्घटना या मारपीट में सिर में जख्म होने की स्थिति भी एकाग्रचित्त होने में बाधक हैं। बच्चों में अटेंशन डिफिसिट हाइपर एक्टिविटी नामक रोग भी उन्हें एकाग्र नहीं होने देता। डिप्रेशन, डिमेंशिया अथवा इकलेप्सी से पीड़ित लोगों को भी एकाग्रचित्त होने में परेशानी होती है। मानसिक बीमारी जैसे साइजोंफ्रेनिया अथवा बाइपोलर डिसऑर्डर भी इसका एक कारण है। हालांकि ऐसे लोगों की संख्या काफी कम है। ऐसे में निष्कर्ष निष्कर्ष के तौर पर हम कह सकते हैं कि जीवन में तीन चीजें – सोशल मीडिया, अल्कोहल और बिखराव युक्त जीवन शैली एकाग्रता विकसित करने के रास्ते में सबसे बड़ी बाधक हैं।
यह भी पढ़ें : वैशाली में 296 कार्टन विदेशी शराब बरामद