भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मद्रास (आईआईटी-एम) के शोधकर्ताओं ने औद्योगिक अनुप्रयोगों के लिए कच्चे माल के निर्माण के लिए धान के कचरे को अपसाइकिल करने के लिए एक पर्यावरण-अनुकूल तकनीक विकसित करने की योजना बनाई है।
यह तकनीक किसानों को आय का एक अतिरिक्त स्रोत प्रदान करेगी क्योंकि धान के कचरे का उपयोग उन ऊर्जा उपकरणों के उत्पादन के लिए किया जा सकता है। यह तकनीक उत्तर भारत में पराली जलाने और अन्य कृषि अपशिष्टों को जलाने को कम करने में महत्वपूर्ण योगदान दे सकती है।
आईआईटी-एम की बुधवार को जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि धान के कचरे से उत्पादित सक्रिय कार्बन से बने सुपरकैपेसिटर से इलेक्ट्रॉनिक्स, ऊर्जा और कृषि क्षेत्रों में उपभोक्ताओं को कई लाभ मिलते हैं और सुपरकैपेसिटर क्षेत्र में आत्मनिर्भरता विकसित करने में मदद मिल सकती है एवं सुपरकैपेसिटर आधारित ऊर्जा भंडारण प्रौद्योगिकी के संबंध में आत्मनिर्भरता देश के भीतर रोजगार को बढ़ाएगी।