रवि श्रीवास्तव
किसान आंदोलन को लेकर आज एक बार फिर से सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है। सुनवाई बेहद अहम है क्योंकि कल ही सुप्रीम कोर्ट की तरफ से केंद्र सरकार को लताड़ लगी थी और साफ तौर पर सुप्रीम कोर्ट ने पूछ लिया था कि केंद्र सरकार बताए कि वे कानूनो पर रोक लगाएंगे। या हम रोक लगा दें… इस पर आज कोई कड़ा और बड़ा फैसला आने की उम्मीद जताई जा रही है
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में क्या कहा गया?
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को दिए अपने हलफनामे में उन सवालों के जवाब दिए जिनमें बार-बार यह कहा जा रहा है कि कृषि कानूनों को सरकार बेहद जल्दबाजी में लेकर आई है यह कानूनों को लाने से पहले सरकार ने किसी से भी न चर्चा की नहीं राय मशवरा लिया। सरकार ने अपने हलफनामे में कहा है की कानून जल्दबाजी में नहीं बने हैं बल्कि ये तो दो दशकों के विचार-विमर्श का परिणाम है. देश के किसान खुश हैं क्योंकि उन्हें अपनी फसलें बेचने के लिए मौजूदा विकल्प के साथ एक अतिरिक्त विकल्प भी दिया गया है. इससे साफ है कि किसानों का कोई भी निहित अधिकार इन कानूनों के जरिए छीना नहीं जा रहा है. हलफनामे में आगे कहा गया है कि “केंद्र सरकार ने किसानों के साथ किसी भी तरह की गलतफहमी को दूर करने के लिए किसानों के साथ जुड़ने की पूरी कोशिश की है और किसी भी प्रयास में कमी नहीं की है.
आज सुप्रीम कोर्ट सुना सकता है फैसला
किसान आंदोलन को आज 48 वा दिन है किसान केंद्र सरकार से निराश है लेकिन अब किसानों को सुप्रीम कोर्ट से आस है सुप्रीम कोर्ट ने जिस तरीके से कल केंद्र सरकार को लेकर तल्ख टिप्पणी दी उस से किसानों को लग रहा है कि सुप्रीम कोर्ट से उन्हें बड़ी राहत मिल सकती है सुप्रीम कोर्ट ने भी कल साफ कर दिया की जरूरत पड़ेगी तो वह कोई कड़ा आदेश भी देंगे इन सब के बीच आज होने वाली सुनवाई काफी है मैं मांगा जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट आज कोई बड़ा फैसला सुना सकती है सूत्रों की माने तो आज सुप्रीम कोर्ट कानूनों पर रोक लगाने को लेकर भी कोई टोकने कर सकती है हालांकि सब कुछ सुनवाई के बाद ही साफ होगा और उसके बाद साफ होगा कि आखिर 26 जनवरी को किसान ट्रैक्टर के जरिए परेड करेंगे या फिर आंदोलन पहले ही खत्म हो जाएगा