प्रदोष व्रत हिंदू धर्म में भगवान शिव को प्रसन्न करने और मनोकामनाएं पूरी करने के लिए विशेष महत्व रखता है। यह व्रत हर माह दो बार आता है, एक बार शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर और दूसरी बार कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी पर पड़ता है। 30 जुलाई 2023 को श्रावण मास के पुरुषोत्तम मास का पहला प्रदोष व्रत है।
व्रत के दिन प्रदोष काल में जलाभिषेक के साथ भगवान शिव की पूजा विधान की जाती है। पूजा के लिए निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होती है:
- फूल, 5 तरह के फल, पंचमेवा (मिश्री, खजूर, खिलौना, घी, दूधा), चांदी, सोना, रत्न, दक्षिणा
- कुशासन, दही, पूजा के बर्तन, शुद्ध देसी घी, शहद, पवित्र जल, गंगाजल
- पंचरस, इत्र, गंध, रोली, पंचमिष्ठान, मौली, जनेऊ, बिल्वपत्र
- भांग, बेर, धतूरा, आम की मंजरी, जौ के बाले, मदार का फूल
- गाय का कच्चा दूध, गन्ने का रस, धूप, दीप, कपूर, रुई, मलयागिरी, चंदन
प्रदोष व्रत के शुभ मुहूर्त 30 जुलाई 2023 को सुबह 10:34 बजे से शुरू होकर 31 जुलाई 2023 को सुबह 7:26 बजे तक रहेगा। प्रदोष काल 30 जुलाई को शाम 7:14 से 9:19 बजे तक मान्य रहेगा।
व्रत के दिन स्नान आदि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। भगवान शिव की प्रतिमा के समक्ष दीप जलाकर गंगाजल से अभिषेक करें और माता गौरा और भगवान भोलेनाथ पर पुष्प अर्पित करें। फिर मन में “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करते हुए दिये गए सामग्री को भगवान शिव को अर्पित करें
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