Food standards, नयी दिल्ली, 23 फरवरी (वार्ता) : सरकार ने बाजरा, ज्वार, कुट्टू तथा चौलाई जैसे 15 मोटे अनाजों की खपत बढ़ाने और इनको लोकप्रिय बनाने के लिए इनके गुणवत्ता मानक सितंबर 2023 से प्रभावी करने का फैसला किया है। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को यहां बताया कि मोटे अनाज के मानक तय करने के लिए भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण ने खाद्य संरक्षा एवं मानक दूसरा संशोधन नियमन 2023 जारी कर दिया है। यह एक सितंबर 2023 से प्रभावी होगा। फिलहाल मोटे अनाजों में केवल बाजरा, रागी या मंडुवा, चौलाई के लिए गुणवत्ता मानक निर्धारित थे, लेकिन नये संशोधन में इनकी संख्या 15 कर दी गयी है। अब इनमें समा के चावल या सान्वा या झन्गोरा, कोराले, कुट्टू, सिकिया, काकून, अचा, अदले, काेदो, कुटकी, चीना, ज्वार और तेफ भी शामिल हैं। इनकी सभी की गुणवत्ता निर्धारित करने के लिए प्राधिकरण ने नमी और यूरिक एसिड की मात्रा सहित आठ मानक तय किये हैं।
Food standards
ये मानक भारतीय घरेलू बाजार और अंतरराष्ट्रीय बाजार में लागू होंगे। मोटे अनाज सामान्य तौर पर छोटे दानों के अनाज को कहा जाता है। इनकी फसल सूखे के अनुकूल होती है और अन्य मौसम को भी आसानी से सहन करती है। इनकी खेती के लिए यूरिया, उवर्रक या कृत्रिम खाद या रासायनिक खाद की बहुत कम आवश्यकता होती है। मोटे अनाज की फसलें मूल रूप से भारतीय भू भाग की फसलें हैं और क्षेत्र की जलवायु के अनुकूल हैं।
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