-अक्षत सरोत्री
कुछ दिन पहले फ्रांस (France) में हुई हिंसा पर फ्रांस कट्टरपंथी संगठनों के खिलाफ खुलमखुला विरोध करना शुरू कर दिया है। जब यह हिंसा हुई थी तो पाकिस्तान और चीन ने फ्रांस की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उछाला था जिसको लेकर फ्रांस भी पाकिस्तान पर हर तरह से निशाना साध रहा है। इस मुद्दे पर अब फ्रांस ने चीन और पाकिस्तान के खिलाफ भारत का खुलकर समर्थन किया है। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के कूटनीतिक सलाहकार इमैनुएल बॉन ने गुरुवार को कहा कि फ्रांस ने कश्मीर मुद्दे पर हमेशा से भारत का साथ दिया है।
फ्रांसीसी राजनयिक बॉन चीन को लेकर दिया यह बयान
भारत और फ्रांस (France) के बीच वार्षिक रणनीतिक वार्ता के लिए आए फ्रांसीसी राजनयिक बॉन ने कहा, जब चीन नियमों को तोड़ता है तो हमें इसके खिलाफ मजबूती और स्पष्टता के साथ आना होगा। हिंद महासागर में हमारी नौसेना की मौजूदगी का यही मकसद है। विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन की ओर से आयोजित कराए गए एक वेबिनार में इमैनुएल बॉन ने ये बातें कहीं।
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बॉन ने कहा कि फ्रांस क्वैड समूह के भी करीब है
बॉन ने कहा कि फ्रांस (France) क्वैड समूह के भी करीब है। इसमें अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया और भारत शामिल हैं। बॉन ने कहा कि भविष्य में वो इस समूह के साथ एक नौसैन्य अभ्यास भी कर सकता है। ताइवान स्ट्रेट में फ्रांस की नौसेना की पट्रोलिंग को लेकर बॉन ने कहा कि ये किसी को उकसाने के लिए नहीं है बल्कि अंतरराष्ट्रीय नियमों का पालन कराने के लिए मौजूद है।
फ्रांस ने किया दावा, पाकिस्तान कर रहा है भारत को परेशान
भारत एक तरफ हिमालय में परेशानियों का सामना कर रहा है और दूसरी तरफ सीमा पर पाकिस्तान है। फ्रांसीसी (France) राष्ट्रपति के कूटनीतिक सलाहकार ने कहा, भारत के लिए सीधे खतरों को लेकर हमारा रुख हमेशा से बिल्कुल स्पष्ट रहा है। कश्मीर मुद्दे पर हमने सुरक्षा परिषद में भारत का हर बार समर्थन किया और हमने चीन को किसी भी तरह का खेल नहीं खेलने दिया। लद्दाख में भारत-चीन सीमा विवाद को लेकर बॉन ने कहा, जब बात हिमालय की आती है तो भी हमारे बयानों को देखिए, हम पूरी तरह स्पष्ट हैं।
संयुक्त राष्ट्र में मसूद अजहर को आतंकी घोषित करने में की थी मदद
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में जैश-ए-मोहम्मद के सरगना (France) मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित कराने में भी मदद की थी। जबकि चीन ने भारत की इस कोशिश में कई बार अड़ंगा लगाने की कोशिश की। भारत ने जब जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म किया तो पाकिस्तान की तरफ से चीन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में एक बैठक बुलाने की कोशिश की। उस वक्त भी फ्रांस ने भारत का साथ दिया था।