एस.जी.पी.सी. को अपनी ओर खींचने की कोशिश में भाजपा
शिरोमणि अकाली दल पंजाब में मजबूती से प्रतिष्ठित है और इसकी बुनियाद एस.जी.पी.सी. (Shiromani Gurudwara Prabandhak Committee) पर रखी गई है। एस.जी.पी.सी. के जत्थेदारों और अध्यक्षों पर बादल परिवार का दबदबा रहा है। लेकिन हाल ही में, भाजपा ने एस.जी.पी.सी. को अपनी ओर खींचने की कोशिश की है और इसके लिए प्रयास कर रही है। यह विषय बहुत कम लोगों को अभी तक पता चला है।
भाजपा की तरफ से भी इस मामले में गंभीर ध्यान दिया जा रहा है। राजनीतिक और सिख राजनीति के ज्ञानी लोगों ने इस बात का संकेत दिया है कि भाजपा एस.जी.पी.सी. पर काबिज होने के लिए पूरी मेहनत कर रही है। अभी तक एस.जी.पी.सी. एक स्वतंत्र संगठन ही रही है, जिस पर भाजपा का पूरा नियंत्रण नहीं है। लेकिन हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, दिल्ली के सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटियों की मामले में भाजपा ने काफी हद तक हकदारी कर ली है। यह बताया जा रहा है कि भाजपा के दो सिख नेता भी पंजाब की सिख राजनीति में घुसपैठ करने के लिए प्रयासरत हैं। इस चुनौती की सफलता कितनी होगी, यह अभी तक देखा नहीं गया है, लेकिन प्रयास जारी है।
इसके अलावा, एस.जी.पी.सी. में चुनावों का आयोजन नहीं हुआ है और इस विषय पर कई सवाल उठ रहे हैं। पिछले 6 सालों से इसमें चुनाव नहीं हुए हैं और अभी तक कोई संकेत भी नहीं है कि आने वाले समय में कोई चुनाव होने वाला है। अगर चुनाव आयोजित होते हैं, तो संभावना है कि भाजपा अपनी राजनीतिक चालें चलेगी, साथ ही शिरोमणि अकाली दल भी अपनी पकड़ बनाए रखने के लिए संघर्ष करेगी।
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