गो फर्स्ट एयरलाइन फिर से मुसीबतें बढ़ी, करनी पड़ी कटौती

गो फर्स्ट
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जमीन पर आ चुकी गो फर्स्ट एयरलाइन की मुसीबतें कम होने का नाम ही नहीं ले रही हैं। हाल ही में दिशा निर्देशिका सहायक प्राधिकरण (DGCA) ने उड़ान ठप हो चुकी गो फर्स्ट एयरलाइन का ऑडिट किया है। बता दें, गो फर्स्ट एयरलाइन ने 3 मई को राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (NCLT) के सामने दिवालिया होने की याचिका दाखिल की थी। जिसके बाद अभी तक एयरलाइन की सेवाएं शुरू नहीं हो पाई हैं। एयरलाइन के हालिया DGCA ऑडिट के बाद गो फर्स्ट ने अपने ऑपरेशन की प्रस्तावित बहाली को लगभग 30% तक कम कर दिया है।

ऑडिट में पाया गया कि गो फर्स्ट के पास सर्विस शुरू करने के लिए प्रस्तावित पैमाने पर पर्याप्त पायलट और बाकी टेक्निकल कर्मचारी नहीं हैं। जिसका असर फ्लाइट सर्विस पर पड़ सकता है। DGCA ने हाल ही में एयरलाइन के 13 मुद्दों पर टिप्पणी किया है. इसमें कोर्ट हियरिंग, फंडिंग, रिफंड और स्पेयर्स तक शामिल हैं. इसके बाद एयरलाइन ने अपने ऑपरेशन में 30% कमी की गई है.

पायलटों की कमी के चलते एयरलाइन अपनी फ्लाइंग सर्विसेज को शुरू करने में सक्षम नहीं है। गो फर्स्ट रिजोल्यूशन प्रोफेशनल (आरपी) शैलेन्द्र अजमेरा ने 15 जुलाई को नियामक को लिखा कि एयरलाइन अब 114 डेली फ्लाइट्स के साथ 15 विमानों की परिचालन फिर से शुरू करना चाहता है। उसके बाद जब हम सर्विस शुरू करने में योग्य होंगे तो पायलटों को अपने साथ जोड़ेंगे।

गो फर्स्ट एयरलाइन ने DGCA के ऑडिट से पहले 160 रोजाना उड़ानों के साथ 26 विमानों के साथ परिचालन फिर से शुरू करने की प्लानिंग DGCA के सामने रखी थी। आरपी ने डीजीसीए को यह भी बताया है कि गो फर्स्ट को जुलाई की शुरुआत तक रद्द की गई उड़ानों के लिए 500 करोड़ रुपये से अधिक का रिफंड प्रोसेस करना है और लगभग 110 करोड़ रुपये की अग्रिम बुकिंग है।

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