होर्मुज जलडमरूमध्य कुछ जगहों पर सिर्फ 21 मील चौड़ा ही है और यहां से पूरी दुनिया के कुल तेल व्यापार का पांचवां हिस्सा होता है। भारत अपनी जरूरत का 80 फीसदी तेल आयात करता है। ऐसे में होर्मुज जलडमरूमध्य से होने वाला व्यापार भारत की ऊर्जा जरूरतों के लिहाज से बेहद अहम है।
वाणिज्य मंत्रालय शुक्रवार को एक अहम बैठक करने जा रहा है। इस बैठक में ईरान-इस्राइल युद्ध के हालात और उसके भारत पर असर की समीक्षा की जाएगी। इस बैठक में हितधारक, शिपिंग लाइंस, निर्यातक, कंटेनर फर्म्स और अन्य विभागों के लोग शामिल होंगे। बैठक की अध्यक्षता वाणिज्य मंत्रालय के सचिव सुनील बर्थवाल करेंगे। बर्थवाल ने कहा कि भारत हालात पर लगातार नजर बनाए हुए है।
व्यापार पर होगा गहरा असर
निर्यातकों का कहना है कि ईरान और इस्राइल की लड़ाई अगर लंबी चलती है तो इससे दुनियाभर के व्यापार पर असर होगा और हवाई और समुद्री तरीके से सामान भेजने की लागत बढ़ जाएगी। आशंका है कि दोनों देशों के संघर्ष का असर समुद्री नौवहन पर भी होगा और होर्मुज जलडमरूमध्य और लाल सागर से गुजरने वाले जहाजों की आवाजाही बाधित हो सकती है। भारत को दो तिहाई कच्चा तेल और आधा एलएनजी आयात होर्मुजत जलडमरूमध्य से ही होता है। युद्ध के चलते ईरान ने इसे बंद करने की धमकी दी है। होर्मुज जलडमरूमध्य कुछ जगहों पर सिर्फ 21 मील चौड़ा ही है और यहां से पूरी दुनिया के कुल तेल व्यापार का पांचवां हिस्सा होता है। भारत अपनी जरूरत का 80 फीसदी तेल आयात करता है। ऐसे में होर्मुज जलडमरूमध्य से होने वाला व्यापार भारत की ऊर्जा जरूरतों के लिहाज से बेहद अहम है।
तेल के दाम बढ़ने से बढ़ सकती है महंगाई
थिंक टैंक जीटीआरआई के अनुसार, होर्मुज जलडमरूमध्य से व्यापार बाधित होने से दुनियाभर में तेल के दाम तेजी से बढ़ेंगे। साथ ही इससे जहाजों की आवाजाही की लागत, इंश्योरेंस प्रीमियम, महंगाई बढ़ेगी। साथ ही इससे रुपये पर भी दबाव आएगा और ये सब भारत का बजट बिगाड़ सकता है। बीती 14-15 जून को इस्राइल ने हूती विद्रोहियों पर भी हमला किया था, जिससे लाल सागर क्षेत्र में भी तनाव बढ़ा हुआ है और हूती विद्रोही व्यापारिक जहाजों को निशाना बना रहे हैं।