सामूहिक दिव्यांग विवाह, 27 फरवरी (वार्ता)- राजस्थान के उदयपुर में नारायण सेवा संस्थान द्वारा करवाए गए सामूहिक दिव्यांग विवाह समारोह में हुई शादी में एक हाथ से तो दूसरा पैर से दिव्यांग है, परन्तु जीवन मे कभी हार नहीं मानी। अपने हौसलों को बुलन्द कर दोनों ने जैसे-तैसे बी.ए. तक की पढ़ाई की। केसरी नन्दन शर्मा जो कि टोड़ा भीम, करौली के रहने वाले हैं। 6 साल की उम्र से कमर एवं बांए पांव से दिव्यांग हैं। 26 वर्ष से लाठी के सहारे घर से चलकर अहमदाबाद में पान का गल्ला चला गुजारा करते हैं । वहीं झारखंड निवासी उर्मिला का भी जीवन ऐसा ही रहा।
सामूहिक दिव्यांग विवाह: दोनों ने एक-दूसरे की कमी समझी, हुए एक
4 माह की थी तब बुखार आया उसके बाद से ही बांए हाथ की नस में रक्त का संचार कम होने से हाथ पतला व कमजोर हो गया। भाई और चाचा ने दोनों का मिलन करा 3 माह पहले सगाई तो करवा दी परंतु दोनों के पिता की मौत के बाद घर के हालात ऐसे नहीं रहे कि वे शादी के बंधन में बंध पाएं। मां आस-पड़ोस के घरों में झाडू-पोछा और बर्तन धो कर गुजारा कर रही है। ऐसे में कौन एवं कैसे करवाएं शादी? कहीं से कोई आस नही? लेकिन ईश्वर ने उनकी सुनी 39वें सामूहिक विवाह में दोनों ने फेरे लेकर जन्म- जन्म के साथी बने।