HANUMAN JAYANTI: हनुमान जन्मोत्सव पर कान्हा की नगरी हो जाती है हनुमानमय

HANUMAN JAYANTI
हनुमान जन्मोत्सव पर कान्हा की नगरी हो जाती है हनुमानमय
HANUMAN JAYANTI, 05 अप्रैल (वार्ता)- कान्हा की नगरी मथुरा में छह अप्रैल को पड़ने वाले रामभक्त हनुमान के जन्मोत्सव की तैयारी लगभग पूरी हो चुकी हैं। ब्रज में हनुमान जयन्ती भी कृष्ण जन्माष्टमी की तरह ही धूमधाम से मनाई जाती है। इसके पीछे मान्यता है कि त्रेता में हनुमान जी ने रामभक्ति का अनूठा उदाहरण पेश किया और अपने उदाहरण से जनमानस को बताया कि समर्पण अधूरा नहीं होता और पूर्ण समर्पण पर आसमान की बुलन्दियों तक पहुंचा जा सकता है वहीं द्वापर में भी हनुमान जी ने श्रीकृष्ण भक्ति का उदाहरण प्रस्तुत किया । परम तपस्वी और ब्रज चौरासी कोस परिक्रमा में स्थित काली मां मन्दिर के महन्त नागरीदास बाबा तो हनुमत महिमा के बारे में यहां तक कहते है जिसने हनुमान जी की पूरी श्रद्धा से आराधना की, उसे ही हनुमान जी का चमत्कार देखने को मिलता है क्योंकि हनुमान जी में वह शक्ति है कि वे नवग्रह में से हर ग्रह के प्रतिकूल प्रभाव को क्षीण कर सकते हैं।
हनुमान जी को यह वरदान सभी ग्रहों के स्वामी सूर्यदेव ने दिया था।उनका कहना था कि हनुमान जी के किसी मंत्र का सवा लाख जाप करने से तेा किसी भी ग्रह का प्रतिकूल प्रभाव क्षीण हो जाता है। इसीलिए कहा जाता है ‘संकट हरैं मिटै सब पीरा। जो सुमिरै हनुमत बलवीरा’,वृन्दावन में हनुमान जी के परम आराध्य तुलसी राम दर्शन मन्दिर मे तो उस समय चमत्कार देखने को मिला था जब पूर्व में यहां बने श्रीकृष्ण मन्दिर में दर्शन करने को महाकवि तुलसी आए थे। उन्होंने श्रीकृष्ण के विगृह हो देखकर कहा थाः- का बरनौ छवि आपकी , भले विराजे नाथ। तुलसी मस्तक तब नवैं, जब धनुष बाण लियो हाथ। कहा जाता है कि उसके बाद तुलसी को उसी विगृह के राम रूप में दर्शन हुए थे।

HANUMAN JAYANTI: हनुमान जन्मोत्सव पर कान्हा की नगरी हो जाती है हनुमानमय

ब्रज में हनुमान जी की पूजा हर घर में इसलिए भी होती है कि ‘वे रिद्धि सिद्धि नव निधि के दाता हैं’। गिरिराज जी की बड़ी एवं छोटी परिक्रमा में हनुमान मन्दिर की कमी नही है। कहा तो यह जाता है कि गिरिराज जी का सम्मान बढ़ाने में हनुमान जी का प्रमुख योगदान है। इस संबंध में धार्मिक ग्रन्थों के एक प्रसंग का जिक्र करते हुए हनुमान बाग के महन्त सियाराम बाबा ने बताया कि त्रेता में रामेश्वरम पर श्रीराम के द्वारा पुल निर्माण के समय हनुमान जी गोवर्धन आए थे और उन्होंने गिरिराज जी से पुल निर्माण में योगदान करने को कहा था। गिरिराज जी हनुमान जी के साथ जब चलने को तैयार हुए तो संदेशा आ गया कि सेतु बन गया है। इस पर गिरिराज जी को बहुत दुःख हुआ।
उन्होंने इसे हनुमान जी के सामने जब प्रकट किया तो हनुमान जी मर्यादा पुरूषोत्तम श्री राम के पास गए और हनुमान जी की पीड़ा बताई। श्रीराम ने उस समय हनुमान जी से कहा था कि गिरिराज जी से यह कहना कि द्वापर में जब वे कृष्ण रूप में आएंगे तो स्वयं वे उनका पूजन करेंगे और इसके बाद दुनिया उनके पूजन को आतुर रहेगी। मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम ने उस समय जो कहा था वही आज चरितार्थ हो रहा है।

हनुमान जी के मन्दिर में छह अप्रैल को होनेवाली हनुमान जयन्ती की तैयारियां चल रही हैं

एक ओर इन सभी मन्दिरों के साथ साथ अन्य हनुमान जी के मन्दिर में छह अप्रैल को होनेवाली हनुमान जयन्ती की तैयारियां चल रही हैं वहीं ब्रज में हनुमान जयन्ती पर कई हनुमान मन्दिरों के सामने मेला और दंगल लगता है तो लगभग हर हनुमान मन्दिर में या तो सुन्दरकांड का पाठ या भंडारा अथवा दोनेा होते हैं । कुल मिलाकर हनुमान जयन्ती पर समूचा ब्रज मंडल हनुमानमय हो जाता है।