चंडीगढ़: हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एचएसपीसीबी) ने वायु प्रदूषण को कम करने के लिए कठिन निर्णय किया है, जिसके तहत राज्य में पटाखों के बिना दिवाली मनाने की सलाह दी गई है। इस निर्णय के अनुसार, 1 नवंबर से 31 जनवरी तक केवल ग्रीन पटाखों का उपयोग करने की अनुमति होगी। यह निर्णय पूरे राज्य, एनसीआर समेत, में लागू होगा।
एचएसपीसीबी के चेयरमैन, पी राघवेंद्र राव, ने बताया कि इस निर्णय का मूल आधार पटाखों पर प्रतिबंध विशेषज्ञों की रिपोर्ट, सुप्रीम कोर्ट के फैसले, और वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के दिशा-निर्देशों पर है।
पटाखों का प्रयोग वायु प्रदूषण के लिए एक महत्वपूर्ण कारक है। पटाखों से हवा में धातु के कण, खतरनाक विषाक्त पदार्थ, हानिकारक रसायन, और हानिकारक गैसें निकलती हैं, जिनका हवा पर न केवल प्रभाव पड़ता है, बल्कि स्वास्थ्य पर भी खराब असर डालता है। इसलिए इन पटाखों पर प्रतिबंध लगाना आवश्यक है।
इस निर्णय के साथ ही, बोर्ड ने उपायुक्तों को इन निर्देशों का सख्ती से पालन करवाने और जनता में जागरूकता फैलाने के लिए भी कहा है। बोर्ड के एक मेम्बर सेक्रेटरी ने बताया कि इस निर्णय के बाद फैसले की दिशा भी बदली जा सकती है, यदि सुप्रीम कोर्ट से नए दिशा-निर्देश मिलते हैं।
हरियाणा में पटाखों का व्यापार करीब 500 करोड़ रुपये का है, और यहाँ उनके निर्माण की फैक्ट्रियां भी स्थित हैं। साल 2021 में, एनसीआर के छोड़कर अन्य शहरों में दिवाली के दिन कुछ घंटों के लिए पटाखों का उपयोग की अनुमति दी गई थी, लेकिन इस बार की सख्ती ज्यादा है और निर्णय जल्दी ही जारी किया गया है। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग द्वारा जारी ग्रेप के दिशा-निर्देश भी 1 अक्टूबर से प्रभावी होंगे।
अक्तूबर की शुरुआत से पहले ही हरियाणा में वायु प्रदूषण का स्तर मध्यम पहुंच गया है, और एनसीआर के तीन जिलों में यह स्तर बढ़ गया है। फरीदाबाद में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 110, गुरुग्राम में 138 और महेंद्रगढ़ में 139 पर पहुंच गया है।
21 सितंबर तक, हरियाणा में पराली के अवशेषों के जलाए जाने के 19 मामले दर्ज किए गए हैं, और 22 सितंबर को कुरुक्षेत्र और यमुनानगर में और एक पराली जलाई गई है।
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