एक बार फिर से पंजाब और हरियाणा के मुख्यमंत्रियों की अहम बैठक में हिस्सेदारी के मुद्दे पर सहमति नहीं बनी है। इस मामले पर अहम बैठक सोमवार को चंडीगढ़ में हुई, जिसकी अध्यक्षता चंडीगढ़ के प्रशासक और पंजाब के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित ने की। इस बैठक में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान शामिल हुए, लेकिन दोनों के बीच मुद्दे पर सहमति नहीं बन सकी।
पंजाब यूनिवर्सिटी राज्य की विरासत है: सीएम मान
भगवंत मान इस मामले में पंजाब की हिस्सेदारी को लेकर पहले ही आपत्ति जता चुके हैं। उन्होंने कहा कि पंजाब यूनिवर्सिटी राज्य की विरासत है और इस पर किसी भी तरह का बदलाव बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि पंजाबी यूनिवर्सिटी पंजाब के लोगों के साथ भावनात्मक रिश्ता है और यह राज्य की विरासत का प्रतीक है। उन्होंने मनाही की मांग की है कि पंजाबी यूनिवर्सिटी को पंजाब का मौजूदा कानूनी और प्रबंधकीय दर्जा बहाल रखा जाए। उन्होंने याद दिलाया कि वर्ष 1966 में पंजाब के पुनर्गठन के अवसर पर पंजाब यूनिवर्सिटी को पंजाब पुनर्गठन अधिनियम-1966 की धारा 72 (1) के अधीन इंटर स्टेट बॉडी कारपोरेट घोषित किया गया था।
हरियाणा सीएम मनोहर लाल का बयान
वहीं, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि हरियाणा के कॉलेजों को भी पंजाबी यूनिवर्सिटी के साथ संबद्धता होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार केंद्र सरकार के सहयोग से पंजाब विश्वविद्यालय को आगे ले जाएगी, ताकि विश्वविद्यालय समृद्ध हो और इसकी जरूरतें पूरी हों।
3 जुलाई को फिर होगी बैठक
इस बैठक के बाद तय हुआ है कि तीन जुलाई को फिर से एक बैठक आयोजित की जाएगी, जहां पंजाब और हरियाणा के मुख्यमंत्रियों के बीच इस मुद्दे पर सहमति प्राप्त करने की कोशिश की जाएगी।
पंजाब यूनिवर्सिटी के आर्थिक संकट के बारे में आपकी जानकारी सही है। हरियाणा सरकार द्वारा पंजाब यूनिवर्सिटी को दी जाने वाली ग्रांट को 1990 तक बंद कर दिया गया था, और इसके बाद से पंजाब सरकार और केंद्र सरकार द्वारा ही यूनिवर्सिटी को आर्थिक सहायता दी जा रही है। इससे यूनिवर्सिटी की आर्थिक स्थिति मजबूत नहीं होती और उसे संचालित रखने में कठिनाई होती है।
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