इलाहाबाद: उत्तर प्रदेश की इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है, जिसमें कहा गया है कि प्रेम प्रसंग के दौरान शारीरिक संबंध बनाने को बलात्कार नहीं कहा जा सकता। कोर्ट ने यह भी उजागर किया है कि भले ही बाद में शादी से इनकार कर दिया गया हो, लेकिन इसे रेप की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता। यह फैसला संतकबीरनगर के एक विवादित मामले के संदर्भ में आया है, जिसमें एक युवक के खिलाफ दर्ज किए गए रेप के आरोप को खारिज किया गया है।
मामले का इतिहास साल 2008 का है, जब उत्तर प्रदेश के संतकबीरनगर जिले की एक युवती ने जियाउल्लाह नामक युवक के खिलाफ रेप का केस दर्ज किया था। मामले की दावा-दोस्ती से शुरुआत हुई और बाद में इसमें प्यार में परिवर्तन हुआ था। युवती ने युवक के खिलाफ रेप का आरोप लगाया, लेकिन उसके बाद युवक ने शादी से इनकार कर दिया।
हाई कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलों की सुनवाई के बाद यह फैसला दिया कि लंबे समय तक चलने वाले प्रेम-प्रसंग में शारीरिक संबंध को रेप नहीं माना जा सकता है। कोर्ट ने आरोपी प्रेमी के खिलाफ चल रही कार्रवाई को भी रद्द कर दिया है।
इस फैसले के माध्यम से कोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि यदि किसी प्रेम प्रसंग के दौरान शारीरिक संबंध बनते हैं और बाद में शादी से इनकार किया जाता है, तो इसे रेप की श्रेणी में नहीं डाला जा सकता।
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