दिल्ली सरकार ने अध्यादेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है और कल इस मामले की सुनवाई होगी। यह अध्यादेश केंद्र सरकार द्वारा जारी किया गया था और इसे दिल्ली सरकार ने संवैधानिकता के खिलाफ चुनौती दी है।
“अध्यादेश कार्यकारी आदेश का अनुचित इस्तेमाल है”
दिल्ली सरकार का दावा है कि यह अध्यादेश कार्यकारी आदेश का अनुचित इस्तेमाल है और इससे शीर्ष अदालत और संविधान की मूल संरचना का उल्लंघन होता है। दिल्ली सरकार ने इसके अलावा अध्यादेश को रद्द करने और अंतरिम रोक लगाने का अनुरोध भी किया है।
यह अध्यादेश केंद्र सरकार द्वारा ‘दानिक्स’ कैडर के ‘ग्रुप-ए’ अधिकारियों के तबादले और उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही के लिए ‘राष्ट्रीय राजधानी लोक सेवा प्राधिकरण’ की गठन के उद्देश्य से जारी किया गया था। इसके अंतर्गत दिल्ली सरकार को पुलिस, कानून-व्यवस्था और भूमि को छोड़कर अन्य सभी सेवाओं का नियंत्रण सौंपा गया था।
अध्यादेश, लोकतांत्रिक शासन की संरचना का उल्लंघन
इससे पहले शीर्ष अदालत के 11 मई के फैसले से पहले दिल्ली सरकार के सभी अधिकारियों के स्थानांतरण और तैनाती उपराज्यपाल के कार्यकारी नियंत्रण में थे। यह याचिका में दावा किया गया है कि यह अध्यादेश अनुच्छेद 239 एए में दिल्ली (एनसीटीडी) के लिए निहित संघीय, लोकतांत्रिक शासन की संरचना का उल्लंघन करता है।
इस याचिका में दावा किया गया है कि अध्यादेश निर्वाचित सरकार, यानी दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र शासन अधिनियम (जीएनसीटीडी) को उसकी लोक सेवा पर पूरी तरह से किनारे कर देता है।
अध्यादेश में कहा गया है कि एक ‘राष्ट्रीय राजधानी लोक सेवा प्राधिकरण’ गठित होगा, जो उसे प्रदान की गई शक्तियों का उपयोग करेगा और उसे सौंपी गई जिम्मेदारियों का निर्वहन करेगा। इस प्राधिकरण में दिल्ली के मुख्यमंत्री उसके अध्यक्ष होंगे और साथ ही, इसमें मुख्य सचिव और प्रधान सचिव (गृह) सदस्य होंगे।
इसमें कहा गया है कि प्राधिकरण द्वारा तय किए जाने वाले सभी मुद्दों पर फैसले उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के बहुमत से होंगे और प्राधिकरण की सभी सिफारिशों का सदस्य सचिव सत्यापन करेगा। इसके अलावा प्राधिकरण के अध्यक्ष की मंजूरी से सदस्य सचिव द्वारा तय किए गए समय और स्थान पर बैठक करने का निर्देश दिया गया है।
दिल्ली सरकार ने इस अध्यादेश को रद्द करने और इस पर अंतरिम रोक लगाने का अनुरोध किया है। यह याचिका केंद्र सरकार के खिलाफ दिल्ली सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई है। इस मामले पर चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली बेंच आज इसे सुनवाई करेगी।