HIMANSHU PATHAK,10 मार्च (वार्ता)- भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक हिमांशु पाठक ने आज कहा कि देश कृषि की उन्नति के बिना विकसित राष्ट्र नहीं बन सकता है । डॉ. पाठक ने परिषद के 94 वीं आम सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि कृषि क्षेत्र में विकास कार्य तेज करना होगा और इसके लिए अनुसंधान में तेजी लानी होगी तभी नयी तकनीक तैयार की जा सकेगी ।
उन्होंने कहा कि ऐसा माना जाता है कि शोध पर एक रुपया खर्च होता है तो उससे दस रुपये का लाभ होता है । उन्होंने कहा कि 2047 के लक्ष्य को हासिल करने के लिए नये प्रयोग शुरु हो गये हैं । उन्होंने कहा कि खाली पदों को भरा जा रहा है तथा कृषि विस्तार का दायरा बढाया जा रहा है ।
HIMANSHU PATHAK: कृषि की उन्नति के बिना भारत विकसित राष्ट्र नहीं हो सकता
वैज्ञानिक किसानों और विभिन्न संगठनों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं ।उन्होंने कहा कि 15 शोध संस्थान एक हब के रुप में काम कर रहे हैं । शोध पर पैसा कम हो रहा था लेकिन 2023-24 के बजट में इसे 17 प्रतिशत बढाया गया है । डा पाठक ने कहा कि 2047 तक अनाज का उत्पादन 52 करोड़ अन तक बएाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है । इसी के अनुपात में फलों और सब्जियों की पैदावार भी बढाना है । उन्होंने कहा कि प्रकृतिक खेती को बढावा दिया जा रहा है और इसके लिए 40 हजार किसानों को प्रशिक्षण दिया गया है । कुल सोलह राज्यों में वैज्ञानिक ढंग से प्राकृतिक खेती का प्रयोग किया जा रहा है ।
पिछले चार – पांच दशक के दौरान कृषि के हरेक क्षेत्र में क्रांति आई है
उन्होंने कहा कि पिछले चार – पांच दशक के दौरान कृषि के हरेक क्षेत्र में क्रांति आई है । इस बार खाद्यान्नों का रिकार्ड उत्पादन होने की उम्मीद है । बागवानी फसलों का उत्पादन 34 करोड़ टन से अधिक हो गया है । उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निपटने के लिए तकनीकें हासिल कर ली गई है । ग्रीन हाउस गैस का उत्पादन घट रहा है जो बहुत महत्वपूर्ण है ।
महानिदेशक ने कहा कि ब्रीडर सीड की पैदावार लगातार बढ रही है जिसके कारण कुछ फसलों की बीज 90 प्रतिशत तक बदली जा रही है । तिलहन में आत्मनिर्भरता अब भी चुनौतीपूर्ण है जिससे निपटने के उपाय किये जा रहे हैं । कृषि का मशीनीकरण किया जा रहा है और पशुओं के स्वास्थ्य को लेकर टीकों का निर्माण किया जा रहा है ।ड्रोन के उपयोग को बढावा दिया जा रहा है जिससे कृषि लागत को कम से कम किया जा सके ।