कर्नाटक का इतिहास क्या खुद को दोहरा रहा है? यह सवाल राज्य के लोगों को रह रहकर परेशान कर रहा है, जब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कद्दावर नेता जगदीश शेट्टार ने भगवा पार्टी को अलविदा कह कर कांग्रेस का दामन थाम लिया। श्री शेट्टार हुबली-धारवाड़ केंद्रीय निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ने के लिए भाजपा से टिकट न मिलने के बाद कांग्रेस में शामिल हो गए, जिसे उन्होंने 1994 से अपने लिए रखा था। चौबीस साल पहले श्री बीएस येदियुरप्पा और अन्य के साथ पार्टी का निर्माण करने वाले भाजपा नेता बीबी शिवप्पा की स्थिति आज भी श्री शेट्टार की तरह ही है। श्री शेट्टार भगवा पार्टी द्वारा उन्हें टिकट न देकर अपमानित करने की शिकायत करते रहे हैं। इससे पहले श्री शिवप्पा ने 1999 में राज्य विधानसभा में विपक्ष का नेता बनने के लिए पार्टी द्वारा श्री शेट्टार को चुने जाने के बाद भी ऐसा ही किया। श्री शिवप्पा की पार्टी ने उपेक्षा की क्योंकि श्री येदियुरप्पा और श्री केएस ईश्वरप्पा विधानसभा चुनाव हार गए थे।
पार्टी ने श्री शिवप्पा की उपेक्षा करने पर उनके समर्थकों को नाराज कर दिया, जिन्होंने शहर में नव-उद्घाटन किए गए भाजपा कार्यालय पर पथराव किया, जहां एलओपी के चयन की प्रक्रिया आयोजित की गई थी। दिलचस्प यह था कि दोनों नेता प्रभावशाली लिंगायत समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। श्री शिवप्पा ने तब सार्वजनिक तौर पर श्री येदियुरप्पा को इसके लिए दोषी ठहराया था, जो विधानसभा चुनाव हार गए थे। श्री अनंत कुमार को प्रतिष्ठित पद से वंचित करने के लिए अब श्री शेट्टार राज्य पार्टी इकाई में कुछ नेताओं पर आरोप लगा रहे हैं।