इंफाल में गृहमंत्री अमित शाह का प्रेस कॉन्फ्रेंस चल रहा है. इस कांफ्रेंस में उन्होंने कहा कि ”मणिपुर हिंसा की जांच के लिए न्यायिक आयोग गठित की जाएगी. हाईकोर्ट के रिटायर CJ की अध्यक्षता में जांच की जाएगी. CBI की टीम भी इस मामले में जांच करेगी. पिछले 1 महीने से मणिपुर में हिंसा हो रहा है. हिंसा करने वालों को नहीं बक्शा जाएगा. जब से बीजेपी सरकार मणिपुर में आई है तब से राज्य हिंसा मुक्त की ओर बढ़ रहा है”.
मणिपुर में हिंसा भड़की
मणिपुर में हिंसा एक महीने से भी ज्यादा हो गया है लेकिन यह थमने का नाम नहीं ले रही है. बिष्णुपुर जिले में संदिग्ध कुकी उग्रवादियों के साथ चल रहे मुठभेड़ में तीन पुलिसकर्मी जख्मी हो गए है. अधिकारियों ने बताया कि कल कुम्बी थाना क्षेत्र के तांगजेंग में मुठभेड़ हुई थी. आगे वह बताते है कि घायल पुलिसकर्मियों को इलाज के लिए इंफाल के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया है.
हिंसा की वजह
ये पूरा मामला कब्जे का है. मणिपुर में मैतेई समुदाय है जिसकी जनसंख्या 53% से भी ज्यादा है. लेकिन वह सिर्फ घाटी में बसे हुए है. वहीं दूसरी तरफ नागा और कुकी समुदाय (अनुसूचित जनजाति) जिसकी आबादी 40 फीसदी है और ये लोग पहाड़ी इलाकों में बसे हुए है. राज्य में 90 फीसदी पहाड़ी इलाका ही है. मणिपुर में एक कानून है कि पहाड़ी इलाकों में सिर्फ आदिवासियों को बसने का अधिकार है. मैतेई को अनुसूचित जनजाति का दर्जा नहीं मिला है, जिसकी कारण वे लोग पहाड़ी इलाकों में नहीं बस सकते है. जबकि, नागा और कुकी चाहे तो वह घाटी इलाकों में भी बस सकते है. इसलिए मैतेई समुदाय ने दिए जाने की मांग की थी.
हाल ही में मणिपुर हाई कोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस एमवी मुरलीधरन आदेश दिया था कि राज्य सरकार को मैतेई को भी अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग पर सोचना चाहिए. मैतेई समुदाय को एसटी का दर्जा देने की मांग करने वाले संगठन ने कहा कि कि ये सिर्फ नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण का मसला नहीं है, बल्कि यह पैतृक जमीन, संस्कृति और पहचान का मुद्दा है. इसी वजह से ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ मणिपुर में ‘आदिवासी एकता मार्च’ निकाला था. जिसकी वजह से आज हिंसा इतनी ज्यादा भड़क उठी. इस हिंसा में कई लोगों की जाने चली गई और कईं घायल भी हुए.
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