-अक्षत सरोत्री
8 सितंबर 2016 का दिन भारत कैसे भूल सकता है उस दिन कश्मीर के उरी में सेना मुख्यालय पर सुबह-सुबह आतंकियों ने बिहार रेजिमेंट के 19 जवानों को सोये हुए ह्त्या कर दी। इस दिन देश के लोगों में पाकिस्तान के खिलाफ काफी रोष था। पूरा देश गुस्से की आग में उबल रहा था। हर किसी के मन में यही सवाल था की क्या पाकिस्तान को हमारी सरकार सबक सिखाएगी। या पहले की तरह केवल भाषों और ट्वीटर पर ट्वीट करके शोक जतायेगी। लेकिन 20 दिन के भीतर जो जवाब भारतीय सेना ने पकिस्तान के मुजफराबाद और चाकोटी में सर्जिकल स्ट्राइक (Surgical Strike) करके दिया था वो इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया। तो आइये आपको एक विश्लेषण के माध्यम से बताते हैं की क्या कहानी थी शौर्य और वीरता की।
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उडी हमले के बाद यह था सरकार का रवैया
तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रीकर ने कहा कि सरकार जनता की भावना को समझती है और अब सीमापार आतंकी ठिकानों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी 22 सितंबर को प्रधानमंत्री, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और तीनों सेना प्रमुखों के बीच सर्जिकल स्ट्राइक (Surgical Strike) के विकल्पों पर चर्चा की गई थी। 23 सितंबर को पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने अजीत डोभाल और रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर को सर्जिकल हमले की मंजूरी दी। भारतीय खुफिया सूत्रों ने बताया कि 20 से लेकर 23 सितंबर तक पाकिस्तानी सेना ने नियंत्रण रेखा पर अपनी फौज को हाईअलर्ट पर रखा था।
आतंकी अड्डे खंगालने में रॉ ने निभाई थी बड़ी भूमिका
पाकिस्तान हवाई हमले की आशंका से घबराए पाकिस्तान ने अपने लड़ाकू विमानों को भी अप्रत्याशित रूप से इस्लामाबाद, गिलगिट और नियंत्रण रेखा के समीप तैनात कर रखा था। पाकिस्तान नियंत्रण के कश्मीर स्थित आतंकी शिविरों को चिन्हित कर लिया गया। इसके अलावा रॉ भी पाकिस्तानी अफसरों और राजनेताओं के कार्यकलापों पर नजर रख रही थी। (Surgical Strike) भारतीय पक्ष ने जान-बूझकर अन्य विकल्पों जैसे कूटनीति और संयुक्त राष्ट्र महासभा में ज्यादा ध्यान देकर पाकिस्तान को एक तरह से आश्वस्त कर दिया था कि भारत की तरफ से पहले जैसी ही प्रतिक्रिया होगी।
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ऐसे हुई थी पूरी कार्रवाई
देश में तबाही मचाने के लिए आतंकियों के कई लांच पैड्स भिंबर, केल, तत्तापानी और लीपा इलाकों में स्थित थे। कमांडोज इतनी खामोशी से इन इलाकों में पहुंचे कि पाकिस्तानी सेना को भारत के इस कदम का कोई आभास नहीं हुआ। हमले से पहले आतंकियों के लॉन्चिंग पैड्स पर खुफिया एजेंसियां हफ्तेभर से नजर बनाए हुए थीं। सेना ने हमला करने के लिए कुल 6 कैंपों का लक्ष्य रखा था। हमले के दौरान इनमें से 3 कैंपों को पूरी तरह तबाह कर दिया गया।
कमांडोज तवोर और M-4 जैसी राइफलों, ग्रेनेड्स, स्मोक ग्रेनेड्स से लैस थे। साथ ही उनके पास अंडर बैरल ग्रेनेड लांचर, रात में देखने के लिए नाइट विजन डिवाइसेज और हेलमेट माउंटेड कैमरा भी थे। कमांडोज ने वहां घुसकर बिना मौका गंवाए आतंकियों पर ग्रेनेड फेंक दिया।
अफरातफरी फैलते ही स्मोक ग्रेनेड के साथ ताबड़तोड़ फायरिंग की। देखते ही देखते 38 आतंकवादियों को मार गिराया गया। हमले में पाकिस्तानी सेना के 2 जवान भी मारे गए। इस ऑपरेशन में हमारे 2 पैरा कमांडोज भी लैंड माइंस की चपेट में आने से घायल हुए थे। रात साढ़े 12 बजे शुरू हुआ ये ऑपरेशन सुबह साढ़े 4 बजे तक चला।
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क्या थी पाकिस्तान की प्रक्रिया सर्जिकल स्ट्राइक के बाद
पाकिस्तानी सेना भारत की ओर से हमले की बात से इंकार नहीं कर रही है। लेकिन उसका कहना है कि ये रूटीन था, जो इस इलाक़े में होता रहता है, भारत का सर्जिकल स्ट्राइ का दावा झूठ है। उन्होंने पत्रकारों को नियंत्रण रेखा पर वह जगह भी दिखाई, जहां सीमा पार से गोलाबारी हुई। हालांकि वो बार-बार कहते रहे कि वे तो सीमा पार से बग़ैर किसी उकसावे के होने वाली गोलाबारी का जवाब भर दे रहे हैं। लेफ़्टिनेंट जनरल बाजवा ने कहा, “जब नियंत्रण रेखा बन गई और युद्ध विराम हो गया, उसी समय से सीमा के दोनों ओर से फ़ायरिंग होती रही है।”