
79th Independence Day LIVE: आज 15 अगस्त 2025 को पूरा देश आजादी के जश्न में डूबा हुआ है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दिल्ली के ऐतिहासिक लाल किले पर तिरंगा फहराया. उन्होंने लाल किले से ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र करते हुए वीर जवानों के प्रति गर्व जताया.
79th Independence Day LIVE: देश आज 79वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है. कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी और मुंबई-अहमदाबाद से लेकर गुवाहाटी और शिलांग तक लोग आजादी के जश्न में डूबा हुआ है. हर तरफ राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा शान से फहरा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दिल्ली के ऐतिहासिक लाल किला पर तिरंगा फहराया. पीएम मोदी ने दुनिया को सीधा संदेश देते हुए ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र किया.
इस बार के स्वतंत्रता दिवस समारोह का थीम है – स्वतंत्रता का सम्मान करें, भविष्य को प्रेरित करें. सुबह 7:21 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लाल किले पर पहुंचे और उसके कुछ देर बाद राष्ट्रीय ध्वज फहराया. इसके बाद राष्ट्रीय गान गाया गया. इससे पहले सेना, नौसेना और वायुसेना द्वारा गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया. इसके बाद पीएम मोदी राष्ट्र को संबोधित करेंगे और राष्ट्रीय एकता और तकनीकी प्रगति पर ध्यान केंद्रित करेंगे. इस समारोह के लिए लाल किले पर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई है. इस समारोह में विशेष अतिथि और विभिन्न क्षेत्रों से आमंत्रित लोग शामिल हो रहे हैं. समारोह में आने वाले लोगों के लिए दिल्ली मेट्रो सुबह 4:00 बजे से सेवाएं प्रदान कर रही है.
हमारे लिए संविधान और लोकतंत्र सर्वोपरि: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू
स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर गुरुवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्र के नाम संबोधन में कई बातों का जिक्र किया. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्र को संदेश देते हुए कहा कि स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर आप सभी को मैं हार्दिक बधाई देती हूं. हम सभी के लिए यह गर्व की बात है कि स्वाधीनता दिवस और गणतंत्र दिवस सभी भारतीय उत्साह और उमंग के साथ मनाते हैं. ये दिवस हमें भारतीय होने के गौरव का विशेष स्मरण कराते हैं. हमारे लिए, हमारा संविधान और हमारा लोकतंत्र सर्वोपरि है. उन्होंने कहा कि 15 अगस्त की तारीख हमारी सामूहिक स्मृति में गहराई से अंकित है. औपनिवेशिक शासन की लंबी अवधि के दौरान देशवासियों की अनेक पीढ़ियों ने यह सपना देखा था कि एक दिन देश स्वाधीन होगा. देश के हर हिस्से में रहने वाले लोग विदेशी शासन की बेड़ियों को तोड़ फेंकने के लिए व्याकुल थे, लेकिन बलवती आशा का भाव था. आशा का वही भाव, स्वतंत्रता के बाद हमारी प्रगति को ऊर्जा देता रहा है.