Nag Panchami: सांपों की पूरी दुनिया में तीन हजार से ज्यादा प्रजतियां पाई जाती हैं। इनका कुनबा इंसान के विकास के साथ बढ़ता ही गया। भारत-चीन समेत पूरी दुनिया में कोबरा पाए जाते हैं। कुछ सांप जहरीले होते हैं तो कुछ बिना विष के होते हैं।
नई दिल्ली: भारत में इतने सांप हैं कि अंग्रेज इसे संपेरों का देश कहकर बुलाते थे। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, ये कोबरा इतने घातक होते हैं कि पूरी दुनिया में सांपों के काटने से हर साल 81,000 से लेकर 1,38,000 लोगों की मौत हो जाती है। इनमें से अकेले भारत में ही करीब 58,000 लोग जान गंवा बैठते हैं। भारत में नाग वंश के राजा तक्षक की कहानी प्रचलित है। भारत का कोबरा इतना जहरीला है कि उसका काटा पानी भी न मांगे। नागपंचमी के अवसर पर ट्यूजडे ट्रीविया में आज जानते हैं देश और दुनिया के कोबरा के बारे में और उनसे जुड़ी दिलचस्प कहानियों को भी जानेंगे।
भारत नागों का घर, 300 से ज्यादा प्रजातियां
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, भारत में किंग कोबरा समेत सांपों की 300 से ज्यादा प्रजातियां हैं। भारत में 95 फीसदी सांप जहरीले नहीं होते हैं। लेकिन बिग फोर का काटा ही सब पर भारी पड़ जाता है। ये बिग फोर हैं-इंडियन कोबरा, करैत, रसेल वाइपर और वाइपर। ये चारों प्रजातियों के सांप ज्यादा घातक होते हैं। वहीं, दुनिया भर में सांपों की 3,000 से ज्यादा प्रजातियां हैं। इनमें से 600 से ज्यादा प्रजातियां जहरीली हैं।
सबसे ज्यादा सांप काटने से यहां होती है मौत
स्नेक बाइट यानी सांप काटने को लेकर 1998 से लेकर 2014 के बीच एक स्टडी कराई गई। इसे मिलियन डेथ स्टडी कहा जाता है। इसके अनुसार, भारत में हर साल करीब 60 हजार लोग सांप काटने की वजह से जान गंवा बैठते हैं। यह नंबर दुनिया में सबसे ज्यादा है। सांप काटने से होने वाली मौतों के मामले में दूसरा नंबर अफ्रीकी देश नाइजीरिया का है्। नाइजीरिया का आंकड़ा 1,460 है।
भारतीय बनाम चीनी कोबरा, कौन सबसे खतरनाक
चीन में ज्यादातर कोबरा दक्षिणी चीन में पाए जाते हैं। इसके अलावा, ताइवान, उत्तरी वियतनाम में भी कोबरा पाए जाते हैं। भारत के कोबरा जहां 7 से 10 फीट तक लंबे होते हैं। वहीं, चीन के कोबरा करीब 4 फीट तक ही होते हैं। भारतीय कोबरा ज्यादा घातक होते हैं। इनका जहर तेजी से असर करता है। इससे जल्दी ही मौत हो सकती है। वहीं, चीन का कोबरा कम खतरनाक होता है।
भारत में फन वाले नाग तो चीन से भी ज्यादा जहरीले
भारत में जो बिग फोर सांप पाए जाते हैं, उनमें किंग कोबरा यानी फन वाले नाग बेहद खतरनाक माने जाते हैं। इनका जहर इतना घातक होता है कि ये शरीर के दो अंदरूनी हिस्सों को जल्द ही नुकसान पहुंचाते हैं। एक है दिल और दूसरा दिमाग। इसीलिए कहा जाता है कि इनका काटा पानी भी नहीं मागता है। ये बिग फोर कैटेगरी वाले सांप न्यूरोटॉक्सिक होते हैं, जो सीधे दिल और दिमाग पर चोट करते हैं। इससे दिल की धड़कन रुक जाती है और दिमाग को लकवा मार जाता है। ऐसे घातक कोबरा पाकिस्तान और श्रीलंका में भी पाए जाते हैं। वहीं, चीन में जो कोबरा पाए जाते हैं, वो भारतीय कोबरा के मुकाबले छोटे और कम जहरीले होते हैं। हालांकि, चीन वाले कोबरा भी न्यूरोटॉक्सिक होते हैं।
सांप काटने से शरीर में क्या होता है बदलाव
सांप का जहर कई तरह के प्रोटीन का मिश्रण होता है। सांप काटने के बाद यह जहर जब खून में मिलता है तो सबसे पहले शरीर के ऊतकों और कोशिकाओं को मारने लग जाता है। मसल्स को पैरालाइज कर देता है। सबसे बड़ी बात यह होती है कि यह खून के थक्के जमाने लग जाता है। इससे हाथों-पैरों को लकवा मार जाता है। शरीर के अंदरूनी हिस्सों यानी दिल और दिमाग को भी लकवा मार जाता है।
क्या सांपों के काटे का कोई इलाज भी है
सांप काटने का इकलौता इलाज है एंटीवेनम थेरेपी। इसे अगर समय रहते सटीक डोज दे दिया गया तो सांप के जहर के असर कम किया जा सकता है और किसी की जान बचाई जा सकती है। एंटीवेनम बनाने के लिए सबसे पहले सांप के जहर को जुटाया जाता है। इससे खास तौर बनाए गई फैसिलिटी में सहेजकर रखा जाता है। ऐसी इकलौती फैसिलिटी तमिलनाडु में है।
कैसे बनता है एंटी वेनम, जो बचा सकता है जान
पहले सांप का जहर किसी छोटे से कंटेनर में जुटाया जाता है। इसे पतला करके इसकी थोड़ी सी डोज घोड़ों को दी जाती है। इससे उन घोड़ों में जहर के प्रति एंटीबॉडीज डेवलप हो जाती है। इसके बाद घोड़ों से उन एंटीबॉडीज को प्रॉसेस करके एंटीवेनम के रूप में रखा जाता है। सबसे पहले एंटीवेनम 1895 में फ्रांसीसी वैज्ञानिक अल्बर्ट कैलमेट ने बनाया था। उन्होंने घोड़ों को कोबरा के जहर से टीका लगाकर एक सीरम विकसित किया था, जो विष-विरोधी गुणों वाला था।