कशिश राजपूत –
किसान आदोंलन (FARMER’S PROTEST) को मुद्दा अब देश विदेश में लोगों के बीच चर्चा का विषय बन गया है . अलग- अलग देशों से लोग इस पर अपनी प्रतिक्रिया जाहिर कर रहें है .
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव (Anurag Srivastava) ने अमेरिका के बयान पर कहा, ‘अमेरिकी प्रतिक्रिया को हमने देखा है और किसी भी बयान को उसके पूर्ण परिप्रेक्ष्य में ही देखा जाना चाहिए. आप सभी ने देखा होगा कि अमेरिकी विभाग ने भारत में कृषि सुधार के लिए उठाए जा रहे कदमों की सही ठहराया है. जहां तक किसी भी विरोध प्रदर्शन की बात है तो भारत सरकार अभी अपनी लोकतांत्रिक मान्यताओं के आधार पर बातचीत से संबंधित किसान समूहों के साथ मिल कर सुलझाने की कोशिश कर रही है.’
अनुराग श्रीवास्तव (Anurag Srivastava) ने कहा, ‘भारत और अमेरिका दोनों प्रगतिशील लोकतंत्र हैं. ऐतिहासिक लाल क़िले पर हिंसा और तोड़फोड़ को लेकर भारत में वैसी भावनाएं सामने आईं, जैसे कि 6 जनवरी को अमेरिकी संसद कैपिटल हिल पर हुई घटना को लेकर आई थी. इन मामलों में स्थानीय कानूनों के अनुसार निपटा जा रहा है.’
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बता दें कि अमेरिकी प्रशासन ने गुरुवार को भारत सरकार के तीन नए कृषि कानूनों का समर्थन किया और कहा, ‘इससे भारतीय बाजारों की उपयोगिता बढ़ेगी. अमेरिका ऐसे कदमों का स्वागत करता है, जो भारत के बाजारों की उपयोगिता में सुधार करेंगे और निजी क्षेत्र के अधिक निवेश को बढ़ावा देंगे.’ इसके साथ ही अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने किसान आंदोलन को लेकर भी प्रतिक्रिया दी और कहा, ‘विवाद को बातचीत के जरिए सुलझाया जाना चाहिए. शांतिपूर्ण विरोध एक मजबूत लोकतंत्र की पहचान है.’