पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) पर आधारित बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ (India: The Modi Connection) को लेकर विवाद जारी है. भारत सरकार पहले ही इस डॉक्यूमेंट्री को प्रोपेगंडा बताते हुए बैन का ऐलान कर चुकी है, लेकिन अब अमेरिका और ब्रिटेन समेत कई देशों ने इसकी घोर निंदा की है. साथ ही, इस BBC की डॉक्यूमेंट्री प्रौपेगैंडा पीस बताया है. आखिर क्यों इतना बवाल मचा हुआ है (BBC documentary)?
ब्रिटिश न्यूज सर्विस BBC की एक डॉक्यूमेंट्री पर विवाद बढ़ता जा रहा है. डॉक्यूमेंट्री पर भारत विरोधी एजेंडा फैलाने का आरोप लगाकर जहां एक ओर भारत सरकार ने इसे बैन कर दिया है. तो वहीं दूसरी तऱफ पीएम मोदी पर बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री पर अमेरिका का बयान सामने आया है. पाकिस्तानी पत्रकार के सवाल पर बयान देते हुए यूएस डिपार्टमेंट ऑफ स्टेट स्पॉक्स नेड प्राइस ने कहा कि वह उससे सहमत नहीं हैं, अमेरिका और भारत के बीच घनिष्ठ राजनीतिक, आर्थिक और असाधारण रूप से गहरे लोगों के बीच संबंध हैं.
ब्रिटिश पीएम सुनक बोले- डॉक्यूमेंट्री से सहमत नहीं
हालांकि, इससे पहले भी ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने बीबीसी के विवादास्पद वृत्तचित्र को लेकर प्रधानमंत्री मोदी का बचाव करते हुए कहा था कि पीएम मोदी का जो चरित्र चित्रण किया गया है, वह उससे सहमत नहीं हैं.
विदेश मंत्रालय ने भारत के खिलाफ प्रोपेगैंडा बताया
वहीं भारतीय विदेश मंत्रालय ने इसकी कड़ी निंदा कि. भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची (Arindam Bagchi) ने कहा कि यह BBC की डॉक्यूमेंट्री प्रौपेगैंडा पीस है. मक़सद एक तरह के नैरेटिव को पेश करना है. नैरेटिव को लोग पहले ही ख़ारिज कर चुके हैं. डॉक्यूमेंट्री के पीछे के एजेंडे पर सोचने को मजबूर है. डॉक्यूमेंट्री में PM पर लगाए आरोपों का खंडन करते हैं. डॉक्यूमेंट्री में पूर्वाग्रह से प्रेरित, निष्पक्षता की कमी है. डॉक्यूमेंट्री में औपनिवेशिक मानसिकता की झलक है (BBC documentary).
आखिर इस डॉक्यूमेंट्री में क्या है? बीबीसी का दावा है कि यह सीरीज गुजरात में 2002 में हुए दंगों के विभिन्न पहलुओं की पड़ताल करती है. गुजरात दंगे के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी राज्य के मुख्यमंत्री थे.और दंगों को लेकर तत्कालीन CM मोदी पर आरोप लगाए हैं. भारतीय विदेश मंत्रालय इस डॉक्यूमेंट्री पर भारत में बैन और कई यूट्यूब वीडियो और ट्विटर पोस्ट ब्लॉक कर दिया है.
हालांकि, गुजरात में 2002 में हुए दंगों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने SIT का गठन किया था. कमेटी ने दंगों में नरेंद्र मोदी का हाथ नहीं पाया था. SIT ने कहा था कि मोदी के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिले. जून 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने SIT की तरफ से मोदी को मिली क्लीन चिट को सही माना था. जहां एक तरफ देश की सर्वोच्च अदालत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट दे दी. तो वहीं पश्चिमी मीडीया भारत की बढ़ती तरक्की के बीच राह का रोढ़ा बन रहा है. और इस तरह का प्रौपेगैंडा भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ फैला रहा है.
(By Tarannum Rajpoot)