बंगलूरू: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने सोमवार को बताया कि चंद्रमा के अद्वितीय अन्वेषण के दौरान, रोवर प्रज्ञान को चंद्रमा की सतह पर आए गड्ढे का सामना करना पड़ा, जिसके बाद उसे ‘नए रास्ते’ पर भेज दिया गया है। इस बड़े घटने की जानकारी एक ट्वीट के माध्यम से दी गई है।
ISRO ने बताया कि चंद्रमा की सतह पर चार मीटर गहरे गड्ढे के सामने आने के बाद भारतीय प्रज्ञान रोवर ने तुरंत सुरक्षित रूप से नए मार्ग पर जाने का निर्णय लिया।
इसरो ने कहा कि रोवर प्रज्ञान ने अपने किनारों से लगभग 3 मीटर की दूरी पर ही इस गड्ढे को पहचान लिया था, जिससे उसे समय पर सुरक्षित रास्ते पर भेज दिया गया।
यह 6 पहियों वाला रोवर, सौर ऊर्जा से संचालित होता है और अज्ञात क्षेत्रों की खोज के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसका लक्ष्य चंद्रमा की सतह पर आमने-सामने जाकर वैज्ञानिक डेटा और छवियाँ प्राप्त करना है, और इसका जीवनकाल कुछ हफ्तों तक है।
समय के खिलाफ दौड़:
इसरो के स्पेस एप्लीकेशन्स सेंटर (एसएसी) के निदेशक, नीलेश एम. देसाई ने बताया कि चंद्रयान-3 का रोवर प्रज्ञान, चंद्रमा की सतह पर अनवेषण कार्यों में लगा हुआ है। यह दौड़ की तरह यहाँ पर हो रहा है, जबकि अभी तक केवल 10 दिन बिते हैं।
तापमान भिन्नता का अन्वेषण:
चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर मॉड्यूल पर चाएसटीई (ChaSTE) पेलोड द्वारा मापी गई गहराई में वृद्धि के साथ चंद्र सतह पर तापमान भिन्नता का एक ग्राफ भी जारी किया गया है। इस पेलोड ने 10 सेमी की गहराई तक जाकर चंद्रमा की सतह के तापमान को मापा है।
इतिहास बनाते हुए:
भारत ने 23 अगस्त को चंद्रयान-3 का रोवर प्रज्ञान को चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक उतार दिया, जिससे यह बन गया कि भारत अमेरिका, चीन और रूस के बाद चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक उतरने वाला चौथा देश बन गया है।