पिछले आठ सालों में सरकारी प्रयासों की वजह से सालाना 3.5 लाख रुपए तक कमाने वाले 20 लाख तक कमाने लगे हैं। इनकम टैक्स रिटर्न भरने वालों की संख्या वित्त वर्ष 2014-15 में चार करोड़ थी जो चालू वित्त वर्ष 2023-24 के 31 दिसंबर तक 8.2 करोड़ के स्तर को पार कर चुकी है।
आय की असमानता में भी कमी आई है तभी वित्त वर्ष 2014 में 100 करोड़ से अधिक की सालाना आय वाले 23 लोगों की देश की कुल आय में 1.64 प्रतिशत की हिस्सेदारी थी जो वित्त वर्ष 21 में घटकर 0.77 प्रतिशत हो गई। इस अवधि में सालाना 100 करोड़ से अधिक की आय की कमाई करने वालों की संख्या 23 से बढ़कर 136 हो गई।
ये सभी खुलासे इनकम टैक्स के आंकड़ों के आधार पर सोमवार को जारी एसबीआई की रिपोर्ट में किए गए हैं। आय की बढ़ोतरी का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि छोटे शहर व ग्रामीण इलाके में दो करोड़ से अधिक परिवार (चार सदस्यों वाले) जोमैटो से आए दिन खाना मंगाते हैं।
व्यक्तिगत रूप से सालाना 5-10 लाख रुपए कमाने वालों की आईटीआर की संख्या में मूल्यांकन वर्ष 13-14 से 21-22 के बीच 295 प्रतिशत तो 10-25 लाख कमाने वालों की आईटीआर की संख्या में 291 प्रतिशत का इजाफा हुआ।
कोरोना महामारी के बाद मुफ्त में भोजन-आवास
रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना महामारी के बाद सरकार की तरफ से मुफ्त में भोजन, आवास व मेडिकल सुविधा मुहैया कराने से इन मदों में निम्न तबके के होने वाले खर्च की बचत हुई जिससे 8.2 लाख करोड़ रुपए की अतिरिक्त खपत का सृजन हुआ।
आईटीआर फाइल करने वालों की सालाना आया
एसबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2014 में आईटीआर फाइल करने वालों में 36.3 प्रतिशत की सालाना आय 3.5 लाख तक थी। आठ सालों में इन 36.3 प्रतिशत में से 15.3 प्रतिशत की सालाना आय 3.5-5 लाख तो अन्य 15.3 प्रतिशत की सालाना आय 5-10 लाख रुपए तक हो गई। 4.2 प्रतिशत की आय 10-20 लाख रुपए, 1.3 प्रतिशत की आय 20-50 लाख रुपए, 0.2 प्रतिशत की आय 50 लाख से एक करोड़ तो 0.1 प्रतिशत की आय 1-5 करोड़ तक पहुंच गई।
रिपोर्ट के मुताबिक निचले तबके की आय में बढ़ोतरी से देश की कुल आय में उच्च तबके की हिस्सेदारी कम हो रही है। वित्त वर्ष 2014 में देश की कुल आय में सबसे अधिक टैक्स देने वाले 2.5 प्रतिशत (सालाना 10 करोड़ से अधिक कमाने वाले) लोगों की हिस्सेदारी 2.81 प्रतिशत थी जो वित्त वर्ष 2021 में घटकर 2.28 प्रतिशत हो गई।