बता देंं कि रोहिंग्याओं को जम्मू-कश्मीर से बाहर भेजने की तैयारी है। इसके साथ ही पुलिस की एक साथ पांच जिलों में हुई कार्रवाई इसी का सुबूत है। सूत्रों की मानें तो रोहिंग्याओं के देशविरोधी गतिविधियों में शामिल होने के इनपुट खुफिया एजेंसियों तक पहुंच रहे थे। जानकारी के अनुसार इनकी संख्या में भी लगातार बढ़ोतरी हो रही थी जबकि मानव तस्करी के जरिए श्रीनगर समेत अन्य जिलाें में इन्हें बसाने की साजिश रची जा रही थी। यही नहीं, आतंकवाद ग्रस्त जिले डोडा, किश्तवाड़, पुंछ और राजोरी में भी इन्हें बसाने के लिए काम हो रहा था। रोहिंग्याओं की आबादी बढ़ने, आपराधिक साजिश में शामिल होने और ओजी वर्करों के पनाह लेने की सूचनाएं भी एजेंसियों के पास हैं। इसके चलते जम्मू संभाग की सुरक्षा और जनसांख्यिकी स्थिति के लिए रोहिंग्या खतरा बनते जा रहे हैं। खुफिया एजेंसियों ने भी रिपोर्ट में यहीं कहा है कि इनकी मौजूदगी धीरे-धीरे खतरनाक साबित हो रही है, जिस पर अब अंकुश लगाना जरूरी है।
सूत्रों की मानें तो पांच वर्ष में जम्मू-कश्मीर में रोहिंग्याओं की जनसंख्या 5 हजार के आसपास बढ़ गई है। मानव तस्करी के अलावा यहीं पर 3 हजार बच्चों का जन्म हुआ है। सबसे बड़ी बात यह है कि नवजात का रिकॉर्ड भी नहीं है, क्योंकि बच्चे का जन्म होते ही रोहिंग्या स्थान बदल देते हैं। वहीं, चैंबर ऑफ कॉमर्स जम्मू, एकजुट संगठन समेत तमाम हिंदू संगठनों की ओर से इन्हें प्रदेश से बाहर भेजने के लिए लगातार सरकार पर दबाव बनाया जा रहा था।