बता दें कि पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा कि जम्मू-कश्मीर बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन द्वारा राज्य की भूमि पर स्थापित निजी स्कूलों में छात्रों से 10वीं कक्षा के परीक्षा फॉर्म स्वीकार करने से इनकार करने से बेहद परेशान हूं। इसके साथ उच्च न्यायालय के स्थगन आदेश की अवहेलना निष्पक्षता और उनके उद्देश्यों पर गंभीर सवाल उठाती है। ऐसा लगता है कि यह जानबूझकर अनगिनत छात्रों के भविष्य को खतरे में डालने के लिए किया गया है। आदेश की अवहेलना में बोर्ड की कार्रवाई पर उठाए सवाल
जम्मू कश्मीर में हजारों छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है क्योंकि जम्मू कश्मीर बोर्ड ऑफ स्कूल एजूकेशन ने राज्य की भूमि पर स्थापित निजी स्कूलों में नामांकित छात्रों से कक्षा 10वीं के परीक्षा फॉर्म स्वीकार करने से इनकार कर दिया है। इसके बाद से छात्रों के भविष्य पर तलवार लटक गई है। बीते साल के एक सरकारी निर्देश के खिलाफ जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय ने जारी स्थगित आदेश की अवहेलना में बोर्ड की कार्रवाई पर सवाल उठाए।
शिक्षा अधिनियम 2002 के तहत हुआ नियमों में संशोधन
जम्मू-कश्मीर सरकार ने 2022 में भूमि और भवन संरचनाओं के उपयोग से संबंधित नए दिशानिर्देश प्रदान करने के लिए शिक्षा अधिनियम 2002 के तहत नियमों में संशोधन करना शुरू किया। इस पर पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने अवहेलना निष्पक्षता और उनके उद्देश्यों पर गंभीर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि ये जानबूझकर बच्चों का भविष्य खतरे में डालने के लिए किया गया है।