सरकारी तंत्र में छिपकर आतंकी व अलगाववादी इकोसिस्टम के लिए काम करने वाले 57 सरकारी अधिकारियों व कर्मियों को प्रदेश प्रशासन बीते दो वर्ष में नौकरी से बाहर कर चुका है। इनमें प्रोफेसर, डॉक्टर और पुलिस में डीएसपी रैंक तक के अधिकारी शामिल हैं
सेवामुक्त किए जाने वालों में कट्टरपंथ अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी का नाती अनीस उल इस्लाम और हिजबुल मुजाहिदीन के सरगना सैयद सलाहुद्दीन के तीन बेटे भी शामिल हैं। प्रदेश प्रशासन ने सभी सुरक्षा एजेंसियों को प्रशासन में छिपे ‘व्हाइट कॉलर’ आतंकियों व अलगाववादियों के बारे में विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश दे रखा है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि उपराज्यपाल मनोज सिन्हा (LG Manoj Sinha) के नेतृत्व में प्रदेश प्रशासन विभिन्न सरकारी विभागों में छिपे आतंकियों व अलगाववादियों के समर्थकों के खिलाफ कठोर कार्रवाई कर रहा है। कई सरकारी अधिकारियों और कर्मियों के खिलाफ विभिन्न पुलिस थानों में आतंकियों व अलगाववादियों के मदद करने, राष्ट्रविरोधी तत्वों के समर्थन में जुलूस निकालने संबंधी
इन सभी के बारे में पूरी गहनता से जांच की जा रही है और सभी संबंधित खुफिया एजेंसियों से इनकी गतिविधियों के बारे में सभी आवश्यक साक्ष्य भी जमा किए जा रहे हैं। प्रदेश प्रशासन का टेरर मॉनिटरिंग ग्रुप इन सभी के मामलों का लगातार आकलन करता है और उसके बाद वह इनके खिलाफ आवश्यकतानुसार कार्रवाई की अनुशंसा करता है।
इसे देखते हुए 11 पुलिसकर्मियों को चिह्नित कर सेवामुक्त किया गया है। इनमें एक डीएसपी रैंक का अधिकारी भी शामिल है। स्वास्थ्य एवं चिकित्सा विभाग में कार्यरत तीन डाक्टर भी आतंकियों और अलगाववादियों के साथ संबंध रखने व उनकी मदद करने में लिप्त पाए गए हैं, उन्हें भी सेवामुक्त किया गया है।