फोन चार्ज में लगा है तो हो सकते है अकाउंट साफ, जानें जूस जैकिंग स्कैम के बारे में

जूस जैकिंग स्कैम
जूस जैकिंग स्कैम

आप अक्सर ऐसे स्थिति में पड़ते हैं जहां आपके डिवाइ (स्मार्टफोन, लैपटॉप या टैबलेट आदि) की बैटरी खत्म हो जाती है, और उन्हें अपने डिवाइस को चार्ज करने की जरूरत पड़ती है। यह अधिकतर उस समय होता है जब आप अपने घर या कार्यालय में नहीं होते हैं और बाहर होने के कारण आप किसी का भी चार्जर का उपयोग कर लेते है. ऐसे में जिसने आपको चार्जर दिया है वह जूस जैकिंग के माध्यम से आपकों ठग सकता है.

वित्तीय फ्रॉडस्टर्स के मोडस ऑपरेंडी के बारे में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के एक बुकलेट के अनुसार, जूस जैकिंग के एक स्कैम में, ये धोखेबाज आपके महत्वपूर्ण डेटा को चुरा लेते हैं और कई विवरणों को खतरे में डालते हैं, जिससे वित्तीय नुकसान हो सकती है।

कैसे होता है जूस जैकिंग स्कैम? 

जूस जैकिंग एक प्रकार का साइबर आक्रमण है, जिसमें हैकर चार्जिंग स्टेशन जैसे जगहों का दुरुपयोग करके आपके उपकरणों से डाटा चुरा सकते हैं या उनमें मैलवेयर डाल सकते हैं। इससे आपके व्यक्तिगत और वित्तीय डेटा को खतरे में डाला जा सकता है और आपको वित्तीय हानि का सामना करना पड़ सकता है। इस प्रकार के साइबर आक्रमण की पहली सूचना शोधकर्ता ब्रायन क्रेब्स द्वारा दी गई थी और उसी ने इसे जूस जैकिंग के नाम से रखा था। अधिकांशतः हवाई अड्डों, रेलवे स्टेशन, होटल और कैफे जैसी जगहों पर आपको चार्जिंग स्टेशन देखने को मिलते हैं। यहां हैकर आपके स्मार्टफोन को अपने गंदे मकसद के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। अगर आप इस तरह के स्टेशन पर अपने मोबाइल को चार्ज करते हैं तो हैकर आपके बारे में गुप्त जानकारी को चुरा सकता है। इस प्रकार के स्टेशन में हैकर आपके मोबाइल में मैलवेयर डालकर आपके डाटा को खाली कर सकते हैं। फिर आपसे अधिक राशि के लिए फिरौती मांगते हैं और आपको वित्तीय हानि हो सकती है।

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