बता दें कि मालदीव के नेताओं द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ दिए गए आपत्तिजनक बयानों के बाद शुरू विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। इसके साथ ही इस बीच, सामने आया है कि मालदीव ने पिछले साल नवंबर में अपने राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के भारत दौरे का प्रस्ताव केंद्र सरकार के सामने रखा था। हालांकि इसे लेकर आगे कोई प्रगति नहीं हुई।
सूत्रों ने बताया कि मालदीव की नई सरकार ने माले में भारतीय उच्चायोग को बताया कि मुइज्जू भारत की यात्रा करना चाहते हैं। हालाँकि, इस पर कोई प्रगति नहीं हुई। हालांकि इस दौरान भी यह द्वीपीय देश माले से भारतीय सैनिकों की वापसी का दबाव बनाए हुए था। यह आग्रह 17 नवंबर को मुइज्जू के मालदीव के राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद किया गया था। हालांकि यह प्रस्ताव मौखिक था। बाद में वहां की सरकार इस प्रस्ताव पर आगे नहीं बढ़ी।
इसके साथ ही चीन से की मुइज्जू ने की पर्यटकों को मालदीव भेजने के प्रयासों को तेज करने की अपील
गौरतलब है कि मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू इस समय चीन की पांच दिवसीय यात्रा पर हैं। यहां उन्होंने भारतीय पर्यटकों द्वारा मालदीव की यात्रा रद्द किए जाने की घटनाओं के बीच चीन से उनके देश में अधिक पर्यटकों को भेजने के प्रयासों को ‘तेज’ करने का अनुरोध किया। फुजियान प्रांत में मालदीव बिजनेस फोरम को संबोधित करते हुए उन्होंने चीन को अपना निकटतम सहयोगी बताया। उन्होंने कहा कि चीन हमारे सबसे करीबी सहयोगियों और विकास साझेदारों में से एक बना हुआ है।
यहां बोलते हुए उन्होंने 2014 में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग द्वारा शुरू की गई बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) परियोजनाओं की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि चीन हमारे सबसे करीबी सहयोगियों और विकास भागीदारों में से एक है। इस परियोजना ने मालदीव को इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा परियोजनाएं प्रदान कीं। अपने संबोधन में मालदीव के राष्ट्रपति ने चीन से मालदीव में अपने पर्यटकों को अधिक से अधिक संख्या में भेजने का आग्रह किया। इस दौरान, दोनों देशों ने मालदीव में एक एकीकृत पर्यटन क्षेत्र विकसित करने के लिए 50 मिलियन अमेरिकी डॉलर की परियोजना पर भी हस्ताक्षर किए।