खरगे ने दावा किया कि वह आपातकाल तो खत्म हो गया, लेकिन मोदी सरकार में 'अघोषित आपातकाल' है। खरगे ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के कारण ही आज संविधान संकट में है। खरगे ने कहा, 'अब ये संविधान बचाओ की बात कर रहे हैं। आपातकाल के 50 साल पूरा होने के बाद उसे दोहरा रहे हैं।'
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने आपातकाल के 50 साल पूरे होने के मौके पर सरकार की ओर से कार्य़क्रम के आयोजनों पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार की विफलताओं को छिपाने के लिए ‘संविधान हत्या दिवस’ मनाने का नाटक कर रही है। उन्होंने दावा किया कि वह आपातकाल तो खत्म हो गया, लेकिन मोदी सरकार में ‘अघोषित आपातकाल’ है। खरगे ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के कारण ही आज संविधान संकट में है। खरगे ने कहा, ‘अब ये संविधान बचाओ की बात कर रहे हैं। आपातकाल के 50 साल पूरा होने के बाद उसे दोहरा रहे हैं।’
उन्होंने भाजपा के वैचारिक पूर्वजों का हवाला देते हुए कहा कि जिनका आजादी के आंदोलन में कोई योगदान नहीं रहा, जिनका संविधान के निर्माण कोई योगदान नहीं रहा, जो हमेशा संविधान के खिलाफ बात करते रहे, जिन लोगों ने बाबासाहेब आंबेडकर के संविधान को रामलीला मैदान में जलाया, उन्हें अब सदबुद्धि आई। खरगे ने दावा किया, ‘हम एक साल से संविधान बचाओ यात्रा निकाल रहे हैं, उससे भाजपा घबरा गई है।’ उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी सरकार शासन में नाकाम रही। महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, नोटबंदी और काले धन के मामले में भी विफल रही।
चुनाव आयोग पर भी भड़के- सरकार के हाथों बन गया है कठपुतली
उन्होंने दावा किया कि विफलताओं को छिपाने के लिए यह नाटक रचा गया है। खरगे ने प्रधानमंत्री पर निशाना साधते हुए कहा, ‘आपातकाल तो आप लाए हैं। वो आपातकाल खत्म हो गया, लेकिन आज तो अघोषित आपातकाल है।’ उन्होंने आरोप लगाया कि मौजूदा समय में निर्वाचन आयोग कठपुतली बन गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को कहा कि कोई भी भारतीय यह कभी नहीं भूलेगा कि आपातकाल के दौरान संविधान की भावना का कैसे उल्लंघन किया गया। उन्होंने संवैधानिक सिद्धांतों को मजबूत करने की अपनी सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई।
अब मीडिया से बात नहीं होती, पहले ही सवाल तय करते हैं PM
वहीं खरगे ने उलटे सरकार पर ही तीखा हमला किया। मीडिया की आजादी के सवाल पर खरगे ने कहा कि अब तक जितने भी प्रधानमंत्री हुए हैं, वे मीडिया से बात करते थे। उनके सवालों के जवाब देते थे। लेकिन ये महाशय तो चुने हुए लोगों से बात करते हैं और सवालों की सूची भी पहले से तय हो जाती है। हर जगह भाइयों और बहनो करते रहते हैं। चुनाव अभी काफी दूर है, लेकिन इनकी तैयारी अभी से शुरू हो गई है। इलेक्शन कमिशन भी एक कठपुतली हो गया है। हमने जो चुनाव 5 महीने पहले महाराष्ट्र में जीता, वहां नतीजा कैसे अलग हो गया। 5 साल में जब वोटर लिस्ट बढ़ती है तो 5 फीसदी बढ़ती है, लेकिन कुछ महीने में ही 6 से 8 पर्सेंट का इजाफा कैसे हो गया।