मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (CPI-M) ने केरल और पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनाव अकेले लड़ने का फैसला किया है, जो इंडिया गठबंधन के साथ उनके संबंधों को प्रभावित कर सकता है।
केरल में लोकसभा की 20 सीटें होती हैं, और पश्चिम बंगाल में 42 सीटें होती हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में केरल में 19 सीटों पर यूपीए (इंडिया गठबंधन की हिस्सा) ने जीत हासिल की थी, जबकि पश्चिम बंगाल में टीएमसी (इंडिया गठबंधन की प्रमुख पार्टी) को 22 सीटों पर जीत मिली थी। हालांकि, बाद में बाबुल सुप्रियो के समर्थन में आसनसोल सीट टीएमसी के खाते में चली गई, जिससे उनकी सीटों की संख्या 23 हो गई।
पश्चिम बंगाल में टीएमसी और CPI-M के बीच तनाव बढ़ रहा है। पिछले लोकसभा चुनाव में टीएमसी और कांग्रेस ने मिलकर चुनाव लड़ा था, लेकिन कांग्रेस केवल 2 सीटों पर ही जीत पाई थी। सीपीएम को तो वहां से कोई सीट नहीं मिली थी।
पश्चिम बंगाल में मुस्लिम वोट का पार्टियों के बीच में हो रहा बदलता दिशा महत्वपूर्ण है, और इससे ममता बनर्जी को खतरा हो सकता है। इसके बावजूद, पश्चिम बंगाल में सीपीएम को लेकर अब तक कोई आधिकारिक ऐलान नहीं हुआ है, लेकिन यह फैसला इंडिया गठबंधन के लिए महत्वपूर्ण है और यह राजनीतिक गतिविधियों को बढ़ावा देगा।
इस तरह के राजनीतिक फैसले देश की राजनीतिक परिदृश्य को प्रभावित कर सकते हैं और उन्हें विस्तार से जांचने और समझने के लिए मीडिया और जनता के लिए महत्वपूर्ण हो सकते हैं।
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