होमवर्क शिक्षा का ही एक जरूरी हिस्सा है। ये सिर्फ शिक्षकों को ही नहीं, बल्कि माता-पिता को भी बच्चों की पढ़ाई- लिखाई से जुड़ने का मौका देता है, लेकिन होमवर्क अगर कठिन है, तो इसे पूरा करना बच्चों के साथ माता-पिता के लिए मुश्किल हो जाता है। कनाडा और ऑस्ट्रेलिया की दो यूनिवर्सिटी में हुए एक शोध में पता चला है कि गणित के होमवर्क से बच्चों को नुकसान ज्यादा होता है और फायदा कम।
एंग्जाइटी की बन सकता है वजह
बच्चे माता-पिता की मदद से भी अगर होमवर्क पूरा नहीं कर पाते, तो यह स्थिति दोनों को मानसिक रूप से परेशान कर सकती है और उन्हें अयोग्स महसूस करा सकती है। आमतौर पर बच्चों का होमवर्क माताएं ही पूरा करवाती हैं। गणित का होमवर्क करवाने में उन्हें कई तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में गणित महिलाओं के बस की बात नहीं, जैसी नकारात्मक बातों को सोचकर वो परेशान हो सकती हैं।
दूसरा अब गणित को पढ़ाने और सिखाने के तरीकों में भी वक्त के साथ कई तरह के बदलाव आ गए हैं। ऐसे में बच्चों की तुलना में माता-पिता द्वारा सीखे गए गणित के तरीकों में भिन्नता देखने को मिल सकती है। इससे भी एंग्जाइटी होने लगती है।
ऑस्ट्रेलिया के विश्वविद्यालय में गणित के प्रोफेसर लिसा ओ कीफ कहती हैं,
‘ माता-पिता के लिए आजमाए तरीकों से अलग दोबारा नए तरीकों को समझना, अपनाना और फिर बच्चों को सिखाना मुश्किल हो सकता है। यह उन पर बेवजह प्रेशर डाल सकता है। यह पीढ़ियों के बीच नकारात्मकता भी पैदा कर सकता है।’ यह अध्ययन ब्रिटिशन जनरल ऑफ सोशियोलॉजी ऑफ एजुकेशन में प्रकाशित हुआ है। इसमें तीसरी कक्षा के 8 से 9 साल के बच्चों और उनके माता-पाता शामिल किए गए।