मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि शाही ईदगाह मामले पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शुक्रवार को फैसला सुना दिया। इस फैसले से हिंदू पक्ष को झटका लगा है। शाही ईदगाह को अयोध्या के रामजन्मभूमि की तरह विवादित ढांचा घोषित करने की अर्जी अदालत ने खारिज कर दी है।
मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि शाही ईदगाह मामले पर हिंदू पक्ष को इलाहाबाद हाईकोर्ट से झटका लगा है। शाही ईदगाह को अयोध्या के रामजन्मभूमि की तरह विवादित ढांचा घोषित करने की अर्जी अदालत ने खारिज कर दी है। हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्र ने शुक्रवार को सुनवाई के दौरान फैसला सुनाया। हिंदू पक्षकार महेंद्र प्रताप सिंह एडवोकेट ने कोर्ट से मस्जिद को विवादित ढांचा घोषित करने की मांग की थी, जिस पर कोर्ट ने 23 मई को अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था।
हिंदू पक्षकार महेंद्र प्रताप सिंह एडवोकेट ने कोर्ट के समक्ष कहा था कि वहां पहले मंदिर था। वहां पर मस्जिद होने का कोई साक्ष्य आज तक शाही ईदगाह मस्जिद पक्ष न्यायालय में पेश नहीं कर सका। न खसरा खतौनी में मस्जिद का नाम है, न नगर निगम में उसका कोई रिकॉर्ड। न कोई टैक्स दिया जा रहा। यहां तक कि बिजली चोरी की रिपोर्ट भी शाही ईदगाह प्रबंध कमेटी के खिलाफ हो चुकी है, फिर इसे मस्जिद क्यों कहा जाए?
पक्षकार ने इसके लिए मासरे आलम गिरी से लेकर मथुरा के कलेक्टर रहे एफएस ग्राउस तक के समय में लिखी गई इतिहास की पुस्तकों का हवाला दिया था। श्रीकृष्ण जन्मभूमि एवं शाही ईदगाह मस्जिद केस के मंदिर पक्षकार ने बताया कि हाईकोर्ट में 5 मार्च 2025 को ये प्रार्थना पत्र दिया था।
इस पर न्यायाधीश राम मनोहर नारायण मिश्र के न्यायालय में बहस पूरी हो चुकी है। न्यायालय ने अपना ऑर्डर रिजर्व कर लिया। महेंद्र प्रताप सिंह एडवोकेट ने बताया कि चार जुलाई को कोर्ट का निर्णय आएगा। उन्होंने बताया कि श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास के बैनर तले देश भर में हिंदू चेतना यात्राएं निकली जा रही हैं। इसे लेकर मुस्लिम पक्ष ने हाईकोर्ट में प्रार्थना पत्र देकर अपनी आपत्ति दर्ज की थी।