MP Vidhansabha, भोपाल, 28 फरवरी (वार्ता) : मध्यप्रदेश विधानसभा में आज सरकार ने वर्ष 2022-23 का आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया गया, जिसमें बताया गया कि राज्य में प्रति व्यक्ति आय में विगत वर्ष की तुलना मेें लगभग छह फीसदी का इजाफा हुआ है। विधानसभा में कल बजट आने के पूर्व आज पेश किए गए इस सर्वेक्षण के अनुसार राज्य में प्रति व्यक्ति आय में विगत वर्ष की तुलना में 5.67 फीसदी की वृद्धि हुई है। स्थिर कीमतों पर इस वर्ष प्रदेश का जीएसडीपी 7.06 प्रतिशत से बढ़ा है। प्रदेश का व्यय बजट विगत वर्ष में 2,17,313 करोड़ 14 प्रतिशत से बढ़कर 2,47,715 करोड़ रुपए हुआ है। ऋण जीएसडीपी का जो अनुपात वर्ष 2005 में 39.5 फीसदी था वो अब घटकर 2020 में 22.6 प्रतिशत रह गया है। राज्य शासन का पूंजीगत व्यय 37089 करोड़ 23.18 फीसदी से बढ़कर रुपए 45685 करोड़ हुआ है। इसमें बताया गया है कि वर्ष 2018-19 से 2021-22 के बीच राज्य का अपना राजस्व 7.94 प्रतिशत सीएजीआर से बढ़ा, जबकि केंद्रीय करों में हिस्सेदारी सिर्फ 0.59 प्रतिशत बढ़ी। सर्वेक्षण के अनुसार प्रदेश में प्रधानमंत्री जन-धन योजना के अंतर्गत प्रदेश में अब तक कुल 3.85 करोड़ बैंंक खाते खोले गए हैं। प्रदेश के तीन जिलों बैतूल, इंदौर और विदिशा ने डिजिटल जिला कार्यक्रम के अंतर्गत 100 प्रतिशत वित्तीय समावेशन डिजिटल जिले का दर्जा हासिल किया है।
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राज्य ने 2013-14 में 174.8 लाख टन की तुलना में 2022-23 में 352.7 लाख टन गेंहू का उत्पादन किया। इस अवधि में धान का उत्पादन 53.2 लाख टन से बढ़कर 131.8 लाख टन हो गया है। वर्ष 2020-21 की तुलना में 2021-22 में फसल क्षेत्र में 5.46 फीसदी और कुल फसलों के उत्पादन में 4.16 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। मध्यप्रदेश में विदेशी निवेश के क्षेत्र में अप्रैल 2021 से मार्च 2022 के बीच राज्य को एक हजार 560 करोड़ रुपए का विदेशी निवेश प्राप्त हुआ है। प्रदेश में 2022 में पिछले साल की तुलना में धार्मिक पर्यटन में पर्यटकों की संख्या में 122 फीसदी का इजाफा हुआ है। अन्य पर्यटन स्थलों में ये आंकड़ा 58 प्रतिशत का रहा है। भोपाल और इंदौर में मेट्रो रेल का कार्य प्रगति पर है, इस परियोजना की अनुमानित लागत 14 हजार करोड़ रुपए है। सर्वेक्षण में बताया गया है कि मध्यप्रदेश में लाड़ली लक्ष्मी योजना के सफल क्रियान्वयन के बाद राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण में जो लिंगानुपात 2015-16 में 927 था, वो अब 2019-21 में 956 हो गया है। इस अवधि में साक्षर महिलाओं का अनुपात 44.4 से बढ़कर 65.4 फीसदी हो गया है।
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