-अक्षत सरोत्री
पाकिस्तान में आतंक को ख़त्म करने की मानो कुछ हद तक मुहीम सी छिड़ गई है। आज से एक साल पहले जनवरी 2020 में पाकिस्तान में स्थित पवित्र सिखों के गुरद्वारे (Nankana Saheb) ननकाना साहब में कुछ कट्टरपंथियों ने पथराब किया था। जिसके लिए पाकिस्तान को विश्व में निंदा का सामना करना पड़ा था। इसी विषय पर पाकिस्तान की आतंकवाद-रोधी अदालत ने मंगलवार को देश के पंजाब प्रांत स्थित गुरुद्वारा ननकाना साहिब में तोड़फोड़ के तीन दोषियों को दो साल तक के कैद की सजा सुनाई। लाहौर के पास स्थित ननकाना साहिब को गुरुद्वारा जन्म स्थान के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि सिखों के पहले गुरु गुरुनानक का जन्म यहीं हुआ था।
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लाहौर की आतंकवाद-रोधी अदालत ने सुनाया फैसला
जनवरी 2020 में इस गुरुद्वारे (Nankana Saheb) पर हिंसक भीड़ ने हमला कर पथराव किया था और इसे नुकसान पहुंचाया गया था। हालांकि, पुलिस ने हालात काबू किए थे। कोर्ट के एक अधिकारी ने बताया कि लाहौर की आतंकवाद-रोधी अदालत ने मंगलवार को मुख्य आरोपी इमरान चिश्ती को दो साल कैद और 10 हजार पाकिस्तानी रुपये जुर्माने की सजा सुनाई। वहीं, दो अन्य आरोपियों मोहम्मद सलमान और मोहम्मद अहमद को छह महीने कैद की सजा दी गई। हालांकि, सबूतों के अभाव में चार अन्य आरोपियों को बरी किया गया। सजा सुनाए जाने के दौरान सभी आरोपी अदालत में मौजूद थे।
अभी कुछ दिन पहले मंदिर को भी बनाया गया निशाना
खैबर पख्तूनख्वा के पुलिस प्रमुख सनउल्ला अब्बासी ने शुक्रवार को कहा था कि मामले में मुख्य आरोपी फैजुल्ला को करक जिले से गिरफ्तार कर लिया गया। उन्होंने कहा कि फैजुल्ला ने ही भीड़ को मंदिर पर हमला करने और समाधि को ढहाने के लिए उकसाया था। पुलिस प्रमुख ने बताया था कि 110 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। रावत ने संवाददाताओं से कहा कि सरकार ने मामले का गहरा संज्ञान लिया है और दोषियों को न्याय के कटघरे में लाया जाएगा। उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यक इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना के बाद सरकार द्वारा उठाए गए कदम से संतुष्ट हैं।