NARENDRA MODI, 24 फरवरी- नरेंद्र मोदी ने कहा कि वर्ष 2014 में कृषि बजट 25 हजार करोड़ रुपए से भी कम था । आज देश का कृषि बजट बढ़कर एक लाख 25 हजार करोड़ रुपए से भी ज्यादा हो गया है।, दलहन उत्पादन को बढ़ावा दिया, फूड प्रोसेसिंग करने वाले फूड पार्कों की संख्या बढ़ाई गई। साथ ही खाद्य तेल के मामले में पूरी तरह आत्मनिर्भर होने के लिए मिशन मोड में काम चल रहा है । उन्होंने कहा कि भारत की पहल पर इस साल को अंतरराष्ट्रीय मिलेट वर्ष घोषित किया गया है।
मिलेट्स को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिलने का मतलब है कि हमारे छोटे किसानों के लिए ग्लोबल मार्केट तैयार हो रहा है। मोटे अनाज को अब देश ने इस बजट में ही ‘श्रीअन्न’ की पहचान दी है। आज जिस तरह श्रीअन्न को प्रमोट किया जा रहा है, उससे हमारे छोटे किसानों को बहुत फायदा होगा। इस क्षेत्र में ऐसे स्टार्टअप्स के ग्रोथ की संभावना भी बढ़ी है, जो ग्लोबल मार्केट तक किसानों की पहुंच को आसान बनाए। सहकारिता क्षेत्र की चर्चा करते हुए मोदी ने कहा कि देश के सहकारिता सेक्टर में एक नई क्रांति हो रही है । अभी तक ये देश के कुछ एक राज्यों और कुछ क्षेत्रों तक ही यह सीमित रहा है। लेकिन अब इसका विस्तार पूरे देश में किया जा रहा है।
MODI: साल 2014 में कृषि बजट 25 हजार करोड़ रुपए से भी कम था लेकिन आज नहीं
इस बार के बजट में सहकारिता क्षेत्र को टैक्स नहीं लगेगा। कोऑपरेटिव सेक्टर के मन में हमेशा से एक भाव रहा है कि बाकी कंपनियों की तुलना में उनके साथ भेदभाव किया जाता है। इस बजट में इस अन्याय को भी खत्म किया गया है। एक महत्वपूर्ण फैसले के तहत शुगर कोऑपरेटिव द्वारा 2016-17 के पहले किए गए पेमेंट पर टैक्स छूट दी गई है। इससे शुगर कोऑपरेटिव को 10 हजार करोड़ रुपये का फायदा होगा। उन्होंने कहा कि डेयरी और फिशरीज से जुड़ी सहकारी संस्थाओं से छोटे किसानों को बहुत लाभ होगा। विशेषकर, फिशरीज़ में किसानों के लिए कई बड़ी संभावनाएं मौजूद हैं। पिछले 8-9 वर्षों में देश में मत्स्य उत्पादन करीब 70 लाख टन बढ़ा है।
NARENDRA MODI: पीएम प्रणाम योजना और गोबरधन योजना से इस दिशा में बड़ी मदद मिलेगी
वर्ष 2014 के पहले, इतना ही उत्पादन बढ़ने में करीब-करीब तीस साल लग गए थे। इस बजट में पीएम मत्स्य संपदा योजना के तहत छह हज़ार करोड़ रुपये की लागत से एक नए सब-कंपोनेंट की घोषणा की गई है। मोदी ने कहा कि प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने और केमिकल आधारित खेती को कम करने की दिशा में भी तेजी से काम किया जा रहा है। पीएम प्रणाम योजना और गोबरधन योजना से इस दिशा में बड़ी मदद मिलेगी। हम सब एक टीम के रूप में इन सभी विषयों को आगे बढ़ाएँगे।