जामुन की सुगंध, फालसे का स्वाद, अनार की भीनी-भीनी महक वाली देसी आइसक्रीम व कुल्फी की मिठास लोगों के सिर चढ़कर बोल रही है। उमस भरी गर्मी के मौसम में लोग इसका जमकर लुत्फ उठा रहे हैं। खासतौर पर विदेशी पर्यटकों को इसका स्वाद खूब भा रहा है तो स्थानीय लोग भी इसके जादू से बच नहीं सके हैं। इसका लुत्फ उठाने के लिए वह बड़ी संख्या में चांदनी चौक पहुंच रहे हैं।
बच्चे, युवा हो या बुजुर्ग हर उम्र के लोग इस देसी आइसक्रीम के स्वाद के दीवाने हैं। आम, अनार, चीकू, अंजीर, केसर पिस्ता, लीची, केवड़ा, गुलकंद, पन्ना, स्टफ्ड संतरा, स्टफ्ड अनार, स्टफ्ड अमरूद समेत कई तरह की कुल्फी यहां उपलब्ध हैं। इनकी कीमत 60 से 300 रुपये के बीच है। यही नहीं, मौसमी फलों, खोया, मावे से तैयार कई देसी आइसक्रीम भी यहां हैं। यहां वर्षों पुरानी कुल्फी व आइसक्रीम की दुकानें पर्यटकों को आकर्षित कर रही हैं। लोग तंग गलियों में इन दुकानों का पता पूछकर आइसक्रीम का स्वाद चखते हैं। चांदनी चौक के फव्वारा चौक के पास स्थित 40 साल से अधिक पुरानी आइसक्रीम की दुकान लोगों को अपनी ओर खींच रही है। यह आइसक्रीम देशी ही नहीं विदेशी पर्यटकों के मुंह में मिठास घोल रही है। इन्हें खाने के लिए पर्यटक जर्मन, स्पेन, जापान, इंग्लैंड से आते हैं। आइसक्रीम व कुल्फी के दुकानदार शैलभ जैन बताते हैं कि वह रोजाना 200 से अधिक आइसक्रीम बेचते हैं। वह कहते हैं कि सबसे अधिक मांग जामुन, आम व केसर स्वाद की है। उन्होंने बताया कि उनके पास 30 से अधिक स्वाद की कुल्फी व आइसक्रीम हैं।
चांदनी चौक की संकरी गलियां अपने अंदर इतिहास समेटे हुए हैं। ऐसे में यहां लोग पुराने स्वाद का भी लुत्फ लेने पहुंचते हैं। इसमें कई कुल्फी व आइसक्रीम की दुकानें हैं। जो मौसमी फलों से कुल्फी व आइसक्रीम बनाते और बेचते हैं। इनमें कई दुकानें तो 100 साल से भी अधिक पुरानी हैं। जिसमें कुरेमल मोहनलाल कुल्फी मशहूर हैं। इसके दीवाने बॉलीवुड सितारों से लेकर उद्योगपति घराने तक हैं। केरल से चांदनी चौक घूमने आए केके द्रविड बताते हैं कि वह अपनी छुट्टियों को बिताने के लिए परिवार के साथ चांदनी चौक आए हैं। वह कहते हैं कि बच्चों को इतिहास के स्वाद पुराने स्वाद से रूबरू कराना जरूरी है।
दिल्ली में आइसक्रीम की खपत दो तरह से होती है। एक लोकल और दूसरी ब्रांडेड है। इसमें लोकल ब्रांड की खपत प्रतिदिन लगभग चार से पांच हजार लीटर होती है। वहीं, ब्रांडेड आइसक्रीम की करीब 30 से 50 हजार लीटर खपत होती है। लोकल ब्रांड इसलिए पीछे हो गया है, क्योंकि हॉकर की लाइसेंस फीस बढ़ा दी है। वहीं, कई लोकल फैक्ट्री बंद हो गई है। -पुनीत मनचंदा, मुख्य संरक्षक, स्मॉल स्केल आइसक्रीम मैन्युफैक्चरर एसोसिएशन ऑफ इंडिया