महाराष्ट्र में राजनीतिक दल राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) की आंतरिक संघर्षों के बीच उठ रहे प्रश्न ने विभिन्न दलों की नजरें खींच ली है। दो फाड़ हुई दलों के बीच उत्तराधिकारिता मुद्दों के कारण यह सवाल महाराष्ट्रीय जनता के मन में कूद पड़ा है।
एनसीपी पार्टी में दो प्रदेश अध्यक्षों की मौजूदगी ने इस पार्टी के अंदर की महसूस हो रही असमंजस को प्रकट किया है। एक गुट जिसमें एकनाथ शिंदे-देवेंद्र फड़नवीस के समर्थन में है, वहीं दूसरा गुट I-N-D-I-A गठबंधन के साथ है।
अजित पवार और शरद पवार की उम्र के कारण, एनसीपी में नेतृत्व परिवर्तन के बारे में चर्चाएं चल रही हैं। वरिष्ठ पवार उन नेताओं के प्रति उम्र के कारण स्थान देने की सलाह दे रहे हैं, जबकि अजित पवार ने उन नेताओं को चुनौती दी है जो अब कैबिनेट मंत्री बन गए हैं।
शरद पवार ने हाल ही में कई नेताओं के निर्वाचन क्षेत्रों में रैलियां की है और उन्होंने उन नेताओं के जहाज छोड़ने के फैसले की आलोचना की। उनकी बेटी सुप्रिया सुले ने इस पर उत्तर देते हुए कहा है कि पार्टी में कोई विभाजन नहीं है।
अजित पवार के निर्वाचन क्षेत्र में रैलियों के बाद उनका नेतृत्व परिवर्तन करने का प्रयास काफी सुर्खियों में है। यह परिवर्तन उनके और उनके चाचा शरद पवार के बीच तनाव का कारण बन रहा है।
एनसीपी के इन आंतरिक संघर्षों का फायदा विपक्षी दलों को मिल रहा है, जो इन तकरीबन चार दशकों से एकल आदान-प्रदान वाली पार्टी के दिलासे का फायदा उठा रहे हैं। शरद पवार की प्रज्ञान और नेतृत्व को लेकर उत्सुकता व्यक्त करने वाले वरिष्ठ नेताओं की तरफ से जो चुनौतियों का सामना हो रहा है, यह सिर्फ पार्टी के भविष्य में ही महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि महाराष्ट्र की राजनीतिक स्थिति के लिए भी महत्वपूर्ण हो सकता है