मानव शरीर में उम्र बढ़ने के साथ बुढ़ापा के लक्षण दिखने शुरू होते हैं और इसके साथ-साथ कई तरह की बीमारियां भी होती हैं। इसे देखते हुए ऑस्ट्रेलिया की क्वींसलैंड यूनिवर्सिटी के क्वींसलैंड ब्रेन इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं द्वारा आविष्कार किया गया है, जहां उन्होंने मानव कोशिकाओं के भीतर एक खास प्रोटीन एटीएसएफ-1 की खोज की है। यह प्रोटीन माइटोकॉन्ड्रिया की मरम्मत और उम्र बढ़ने के प्रक्रिया को नियंत्रित करने में मदद करता है। माइटोकॉन्ड्रिया ऊर्जा उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण होता है और इसकी डिसफंक्शन उम्र से जुड़ी बीमारियों की जड़ है, जैसे कि डिमेंशिया और पार्किंसंस।
एटीएसएफ-1 प्रोटीन माइटोकॉन्ड्रिया की मरम्मत करके कोशिकाओं की स्वास्थ्य और लंबी उम्र को बढ़ावा देता है। यह एक प्रकार की “पिटस्टॉप” की तरह कार्य करता है, जो बुढ़ापे की प्रक्रिया को रोकता है। शोधकर्ता ने राउंडवॉर्म में एटीएसएफ-1 का अध्ययन किया है और पाया है कि इसके फंक्शन को बढ़ाने से राउंडवॉर्म लंबे समय तक जीवित रहते हैं। यह खोज मानवों के लिए उम्र बढ़ने के प्रक्रिया को धीमा करने और बीमारियों से बचाने में मदद कर सकती है।
इसके अलावा, हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने एक छह केमिकल का मिश्रण तैयार किया है जिसे वे दावा करते हैं कि यह उम्र के बढ़ने के असर को घटाएगा। यह मिश्रण त्वचा को जवान और स्वस्थ बनाने के साथ-साथ शरीर के अंदरीय अंगों को भी दुरुस्त करेगा। यह फार्मूला त्वचा के साथ-साथ बढ़ती उम्र की बीमारियों पर भी असर करेगा। वैज्ञानिकों का दावा है कि यह फार्मूला जल्दी उपलब्ध होगी और ह्यूमन ट्रायल के लिए शुरू होगी।
यह नई खोज और तकनीकी उपयोग करके वैज्ञानिकों ने उम्र को रोकने और शरीर की गुणवत्ता को सुधारने के लिए विभिन्न उपाय ढूंढ़े हैं। हालांकि, इन खोजों और फार्मूलों के प्रभाव को पहले जानवरों पर टेस्ट किया जा चुका है और ह्यूमन ट्रायल का आगाज़ जल्दी होने की उम्मीद है।
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