‘मैं पंजाब को पानी क्यों दूं, क्या उन्होंने हमें…’, उमर अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर से नहर के जरिए पानी भेजने के प्रस्ताव को ठुकराया

सीएम उमर अब्दुल्ला ने कहा कि कई सालों तक उन्होंने (पंजाब) हमें रुलाया. अब जब हमारे पास थोड़ा अतिरिक्त पानी है तो हम क्यों दें? 113 किलोमीटर लंबी प्रस्तावित नहर पर उन्होंने कहा कि अभी के लिए यह पानी सिर्फ हमारे लिए है. पहले हम इसका उपयोग करेंगे, फिर देखेंगे.

जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने स्पष्ट शब्दों में उस योजना का विरोध किया है जिसमें केंद्र सरकार कथित तौर पर जम्मू-कश्मीर से एक नहर के ज़रिए सिंधु प्रणाली की तीन पश्चिमी नदियों के अतिरिक्त पानी को पंजाब, हरियाणा और राजस्थान भेजने की तैयारी कर रही है.

शुक्रवार को पत्रकारों से बात करते हुए अब्दुल्ला ने कहा कि मैं पंजाब के लिए पानी क्यों भेजूं? उन्होंने कहा कि मैं इसकी कभी इजाजत नहीं दूंगा. पहले हम अपना पानी खुद इस्तेमाल करेंगे. जम्मू में सूखे जैसी स्थिति है, सिंधु जल संधि के तहत पंजाब के पास पहले से ही पानी है, क्या उन्होंने हमें तब पानी दिया जब हमें इसकी जरूरत थी?

सीएम उमर अब्दुल्ला ने पठानकोट में शाहपुर कंडी बैराज के निर्माण को लेकर पंजाब और जम्मू-कश्मीर के बीच 45 साल पुराने विवाद का हवाला दिया. यह बैराज पठानकोट में रावी नदी पर बनाया गया है, जिसका उद्देश्य पाकिस्तान को जाने वाले पानी को रोकना था. 1979 में हुए समझौते के बाद भी यह परियोजना वर्षों तक विवादों में रही और अंततः 2018 में केंद्र सरकार की मध्यस्थता से काम शुरू हुआ. 

सीएम उमर अब्दुल्ला ने कहा कि कई सालों तक उन्होंने (पंजाब) हमें रुलाया. अब जब हमारे पास थोड़ा अतिरिक्त पानी है तो हम क्यों दें? 113 किलोमीटर लंबी प्रस्तावित नहर पर उन्होंने कहा कि अभी के लिए यह पानी सिर्फ हमारे लिए है. पहले हम इसका उपयोग करेंगे, फिर देखेंगे.

दरअसल, पिछले महीने खबरें आई थीं कि भारत सरकार ने फैसला किया है कि पाकिस्तान के हिस्से का पानी अब भारत के उत्तरी राज्यों में इस्तेमाल किया जाएगा. जल शक्ति मंत्रालय इस दिशा में युद्धस्तर पर काम कर रहा है, ताकि एक भी बूंद पाकिस्तान न जाए. ये ऐलान भारत द्वारा ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और सिंधु जल संधि रोकने के बाद किया गया था. 

शिरोमणि अकाली दल ने किया पलटवार 

शिरोमणि अकाली दल ने सीएम उमर अब्दुल्ला के बयान पर पलटवार किया. शिअद नेता और पूर्व मंत्री दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि जब भी देश में जल बंटवारे की बात होती है, सबसे ज़्यादा नुकसान पंजाब को उठाना पड़ा है. उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कार्यकाल में पंजाब के जल संसाधनों को राजस्थान जैसे गैर-सीमावर्ती राज्यों को दे दिया गया, जो पंजाब के साथ ऐतिहासिक अन्याय था. डॉ. चीमा ने कहा कि पंजाब के किसानों ने देश के लिए अन्न उगाने में अपना सब कुछ झोंक दिया, जिससे न सिर्फ़ ज़मीन के नीचे का जल स्तर गिर गया बल्कि नदियों में भी पानी की मात्रा घट गई. उन्होंने कहा कि पंजाब के किसान भारी कर्ज़ के बोझ तले दबे हुए हैं, ताकि देश की खाद्य सुरक्षा बनी रहे.

‘उमर अब्दुल्ला किसानों की ज़रूरतें समझें’

SAD नेता ने उमर अब्दुल्ला को भड़काऊ बयान देने से पहले पंजाब और अन्य राज्यों के किसानों की ज़रूरतों पर विचार करने की सलाह दी. उन्होंने कहा कि उमर का बयान देश में राज्यों के बीच नदी जल बंटवारे को लेकर नई टकराव की स्थिति पैदा कर सकता है. चीमा ने केंद्र सरकार द्वारा सिंधु जल संधि को निलंबित करने के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि अब केंद्र के पास मौका है कि वह पंजाब के साथ हुआ पुराना अन्याय सुधार सके. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को चाहिए कि वह पंजाब को इस परियोजना के तहत अतिरिक्त पानी आवंटित करे.