शनिवार को सिंघु बॉर्डर (Singhu Border) पर एक किसान (Farmer Suicide) ने जहर खा लिया। किसान को गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। किसान की पहचान पंजाब के फतेहगढ़ साहिब जिले के रहने वाले 40 साल के अमरिंदर सिंह के तौर पर हुई है। दुसरी ओर शनिवार को ही किसान आंदोलन (Kisan Andolan) के समर्थन में चेन्नई में भी पेरुमल नाम के एक किसान ने अपनी जान दे दी। पेरुमल ने सुसाइड नोट लिखा था जिसमें उसने किसानों के समर्थन में खुदकुशी की बात कही है।
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आपको बता दें कि किसान आंदोलन के दौरान अबतक 40 से ज्यादा किसानों की मौत हो चुकी है। कुछ किसानों ने खुदकुशी (Farmer Suicide) कर ली तो कुछ की अचानक तबीयत खराब होने से मौत हुई। इससे पहले 3 जनवरी को टिकरी बॉर्डर पर एक 58 साल के किसान को दिल का दौरा पड़ा जिसके बाद उसकी मौत हो गई थी। किसान तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ 26 नवंबर से ही दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर आंदोलन कर रहे हैं। सरकार और किसानों के बीच अब तक 8 दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन उसका कोई नतीजा नहीं निकला है।
किसान कानूनों को वापस लेने पर अड़े हैं, वहीं सरकार कानूनों में संशोधन की बात कह रही है। कड़ाके की ठंड में घर से दूर आंदोलन की वजह से तमाम किसान अवसाद का भी शिकार हो रहे हैं। इनके मानसिक बोझ को कम करने के लिए अमेरिकी एनजीओ ‘यूनाइटेड सिख’ ने सिंघु बॉर्डर पर हरियाणा की ओर स्थापित अपने शिविर में किसानों के लिए एक काउंसलिंग सत्र शुरू किया है।
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शिविर में एक मनोवैज्ञानिक और स्वयंसेवक सान्या कटारिया ने एक न्यूज एजेंसी से कहा कि कई किसानों की इस आंदोलन के दौरान मृत्यु हो गई है और कुछ ने अपनी जान दे दी है। हो सकता है कि उनमें मजबूत दृढ़ संकल्प हो लेकिन अत्यधिक ठंड, कठित परिस्थितियों के साथ ही खेतों में सक्रिय नहीं रहने के कारण जीवन शैली में बदलाव के चलते उनके अवसाद से ग्रस्त होने की आशंका है।