-अक्षत सरोत्री
कृषि कानूनों (agriculture law) पर संसद में आपसी नोक-झोक हर दिन देखने को मिल रही है। यही हंगामा उस दिन भी देखने को मिला था जब आम बजट का अभिभाषण चल रहा था और जैसे ही वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जैसे ही किसानों को बजट में दिए गए फायदे की बात शुरू की विपक्ष ने हल्ला करना शुरू कर दिया। आज भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला लेकिन हंगामे के बीच संसद में कृषि मंत्री ने विपक्ष के लोगों को जवाब दिया। नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि हमारी सरकारों ने पंचायतों का विकास करने उन्हें मजबूत किया है।
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वित्तीय आयोग की सिफ़ारिशों पर पंचायतों को पैसा दिया
एक प्रश्न का जबाव देते हुए कृषि मंत्री ने कहा कि आयोग की सिफारिशों के मुताबिक पंचायतों को पैसा दिया गया है। उन्होंने कहा कि गांव में अगर किसी शख्स के घर से सड़क गुजर रही है तो उसके मुआवजे का आंकलन भी शहरों की तरह ही होगा। (agriculture law) कृषि मंत्री ने कहा, ”कई बार विपक्ष की तरफ से ये बात सामने आती है कि आप कहते हैं कि सब मोदी जी की सरकार ने किया है, पिछली सरकारों ने तो कुछ भी नहीं किया। मैं इस मामले में ये कहना चाहता हूं कि इस प्रकार का आरोप लगाना उचित नहीं है।
मनरेगा योजना पर यह बोले तोमर
मनरेगा योजना को लेकर तोमर ने कहा, ”कुछ लोग मनरेगा को गड्ढों वाली योजना कहते थे। जब तक आपकी सरकार थी उसमें गड्ढे खोदने का ही काम होता था, लेकिन मुझे ये कहते हुए प्रसन्नता और गर्व है कि इस योजना की शुरुआत आपने की लेकिन इसे परिमार्जित हमने किया।” कृषि कानूनों और किसान आंदोलन पर कृषि मंत्री ने कहा, ”देश में सिर्फ एक राज्य के किसानों को कानून (agriculture law) को लेकर गलतफहमी है। किसानों को भड़काया जा रहा है कि उनकी जमीन चली जाएगी।
जमीन छीनने का कोई जिक्र नहीं है कृषि कानून में
कोई हमें बताए कि कानून के किस प्रावधान में किसानों की जमीन छीनने का जिक्र है?” उन्होंने कहा, ”मैं प्रतिपक्ष का धन्यवाद करना चाहूंगा कि उन्होंने किसान आंदोलन (agriculture law) पर चिंता की और आंदोलन के लिए सरकार को जितना कोसना जरूरी था, उसमें भी कंजूसी नहीं की। मैं विपक्ष और कानून संगठनों से जानना चाहता हूं कि इस कानून में काला क्या है? पता तो चले. ताकि मैं उसे साफ कर सकूं। मैंने 12 बार किसानों को बैठक के लिए बुलाकर यही जानने की कोशिश की है।” तोमर ने आगे कहा, ”संशोधन में बदलाव के प्रस्ताव का मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि इन कानूनों में कुछ गलत है। कांग्रेस सिर्फ खून से खेती करना जानती है। बीजेपी सिर्फ पानी से खेती करती है।