राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) द्वारा जारी आदेश, जिसमें डॉक्टरों को जेनेरिक दवाओं (Generic Medicines) के अलावा अन्य दवाएं लिखने से रोक दिया गया था, को तत्काल प्रभाव से रोक दिया गया है। यह निर्णय इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) और फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन द्वारा केंद्र और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया से संपर्क करने के बाद किया गया।
राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के पंजीकृत मेडिकल प्रैक्टिशनर (पेशेवर आचरण) विनियम, 2023 ने अन्य निर्देशों के साथ-साथ डॉक्टरों के लिए जेनेरिक दवाओं के नुस्खे को अनिवार्य बना दिया था। नियामक संस्था ने कहा था कि चूंकि जेनेरिक दवाएं ब्रांडेड दवाओं की तुलना में 30 से 80 प्रतिशत तक सस्ती हैं, इसलिए इस नए नियम से स्वास्थ्य देखभाल लागत कम हो जाएगी।
एनएमसी के आदेशों को अधिसूचित किए जाने के बाद से ही डॉक्टरों द्वारा इसका विरोध किया जा रहा है। डॉक्टरों ने तर्क दिया कि भारत में जेनेरिक दवाओं की गुणवत्ता नियंत्रण कमजोर है और ऐसे नियमों से मरीजों को खतरा होगा।
सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका (पीआईएल) भी दायर की गई थी जिसमें उन पंजीकृत चिकित्सकों के खिलाफ कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग की गई थी जो ब्रांडेड नामों के लिए सामान्य विकल्प नहीं लिखते हैं।