-अक्षत सरोत्री
जब भी भारत कश्मीर में किसी भी तरह के विकास या शान्ति की बात करता है तो पाकिस्तान (Pakistan) की चिंताएं बढ़ जाती हैं। आज कश्मीर में विदेशी राजनायिक दौरे पर हैं। राजनायिकों का मकसद यह देखना है कि कश्मीर में लोकतंत्र की क्या स्थिति है। जिसकी रिपोर्ट यह राजनायिक इंटरनेशनल मंच पर देंगें। लेकिन इसी बीच पाकिस्तान ने नराजगी जताते हुए अपील की है कि भारत कश्मीर में तटस्थ इंटरनैशनल पर्यवेक्षकों को भेजे। ये लोग कश्मीरी लोगों से बेरोक-टोक बातचीत करके जमीनी आकलन करें। अब सोचने वाली बात यह है कि यह न्यूट्रल पर्यवेक्षक होंगे या फिर अलगाववादी जो घाटी में धारा-370 हटने के बाद से शांत बैठे हैं।
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पाकिस्तानके विदेश कार्यालय के प्रवक्ता ने की मांग
पाकिस्तान (Pakistan) के विदेश कार्यालय के प्रवक्ता ने गुरुवार को यह मांग की है। बीते दिनों यूरोप, लैटिन अमेरिका और अफ्रीकी देशों के राजनयिक दो दिन के कश्मीर दौरे पर आए थे। इन राजनयिकों ने अगस्त-2019 में संविधान के आर्टिकल 370 के प्रावधानों को निरस्त किए जाने के बाद केंद्रशासित प्रदेश में जमीनी हालात का जायजा लेने की कोशिश की।
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विदेश कार्यालय के प्रवक्ता हाफिज चौधरी ने दिया बयान
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए पाकिस्तान (Pakistan) के विदेश कार्यालय के प्रवक्ता हाफिज चौधरी ने कहा, ‘भारत को संयुक्त राष्ट्र पर्यवेक्षकों, मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय, ओआईसी स्वतंत्र स्थायी मानवाधिकार आयोग के सदस्यों और अंतरराष्ट्रीय मीडिया को कश्मीर में जाने और कश्मीरी लोगों से बातचीत करके जमीनी हकीकत का आकलन करने की अनुमति देनी चाहिए।’ वहीं, इसके अलावा, धार्मिक कारणों से पाकिस्तान की यात्रा करने के इच्छुक सिखों को भारत की ओर से यहां आने की अनुमति नहीं दिए जाने संबंधी सवाल के जवाब में चौधरी ने कहा कि पाकिस्तान भारत समेत दुनिया भर के सिख यात्रियों को सर्वाधिक सुविधाएं मुहैया कराता है, ताकि वे यहां अपने धार्मिक स्थलों के दर्शन कर सकें। लेकिन यह साफ़ है कि इसके पीछे पाकिस्तान आतंक ही मदद करेगा और कुछ नहीं।
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