-अक्षत सरोत्री
अक्सर हमने छोटे देशों में जहाँ लोकतंत्र मजबूत नहीं होता है वहां तख्तापलट होते देखा है। आप पाकिस्तान को ही ले लीजिए वहां तख्तापलट ऐसे होता है मानों वोट हो रहे हैं। अब हमारे पड़ोसी देश म्यांमार (Myanmar) में भी कुछ ऐसा ही हुआ है लेकिन म्यांमार की राजधानी में तख्तापलट करने वाली सेना के खिलाफ हजारों लोग सड़कों पर हैं। इनकी मांग है कि सत्ता को फिर से चुने हुए प्रतिनिधियों के हाथ में सौंपा जाए। इन लोगों पर पुलिस ने सोमवार को पानी की बौछार छोड़ी। वहीं, अब पोप फ्रैंसिस ने भी अपील की है कि हिरासत में लिए गए नेताओं को रिहा किया जाए।
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लोग हैं तख्तापलट से परेशान
इससे पहले उन्होंने म्यांमार (Myanmar) के लोगों के साथ खड़े होने की बात कही थी। पिछले हफ्ते हुए तख्तापलट के विरोध में देश के अन्य हिस्सों में भी प्रदर्शन तेज होता दिख रहा है। नेपीता में बीते कुछ दिनों से प्रदर्शन जारी है और यह इस लिहाज से महत्वपूर्ण है क्योंकि यहां कई नौकरशाह और उनके परिवार के लोग रहते हैं और शहर में प्रदर्शनों की कोई परंपरा नहीं रही है। यहां आम दिनों में भी काफी सैन्य जमावड़ा होता है। देश के सबसे बड़े शहर यंगून के प्रमुख चौराहों पर भी प्रदर्शनकारी काफी संख्या में जुटे।
कई जगह सामने आ रहे हैं प्रदर्शन के मामले
इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने ‘सैन्य तख्तापलट (Myanmar) का बहिष्कार’ और ‘म्यांमार के लिए न्याय’ लिखी हुई तख्तियां दिखाते हुए विरोध व्यक्त किया। उत्तर में स्थित कचिन राज्य, दक्षिण पूर्व में मोन राज्य, पूर्वी राज्य शान के सीमावर्ती शहर ताचिलेक, नेपीता और मंडाले में सोमवार को विरोध प्रदर्शन के नए मामले सामने आए हैं। यहां लोगों ने तख्ता पलट के विरोध मार्च और बाइक रैली निकाली। यंगून में एक प्रदर्शनकारी ने कहा, ‘हम सैन्य जुंटा नहीं चाहते। हम कभी भी यह जुंटा नहीं चाहते थे। कोई इसे नहीं चाहता। सभी लोग उनसे लड़ने के लिए तैयार हैं।’ सरकारी मीडिया ने सोमवार को पहली बार प्रदर्शनों का जिक्र किया और उनके देश की स्थिरता के लिए खतरा होने का दावा किया।