राजस्थान: मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सामने सबसे बड़ी चुनौती बीजेपी नहीं बल्कि सचिन पायलट है. जो आए दिन कोई न कोई मुद्दा उठाकर गहलोत पर वार करते रहते है. आज सचिन पायलट ने गहलोत के खिलाफ एक बड़ा ऐलान के दिया है. राजधानी जयपुर में जनसभा का आयोजन हुआ जिसमें पायलट ने गहलोत पर 15 दिन का अल्टीमेटम देते हुए खुली चेतावनी दे डाली है.
पायलट ने कहा की अगर सरकार पेपर लीक मामले में प्रभावित हुए अभ्यर्थियों को मुआवजा नहीं दिया और वसुंधरा सरकार में हुए भ्रष्टाचार की जांच नहीं कराई तो वे राज्य में सरकार के खिलाफ आंदोलन छेड़ देंगे. इतना ही नहीं बल्कि पायलट ने आरपीएससी की वर्तमान व्यवस्था को भंग करने की भी मांग की है.
मैं किसी की धमकी से डरने वाला नहीं- पायलट
पायलट ने कहा कि मैं किसी की धमकी से डरने वाला नहीं हूं. मैं प्रदेश के लिए हर कुर्बानी देने के लिए तैयार हूं. पायलट ने आरोप लगाया कि उनकी जनसभा में आने वालों को रोका गया. लेकिन इससे न ही तो मैं किसी से डरने वाला हूँ और न ही किसी से दबने वाला हूं. आगे उन्होंने कहा कि मेरे परिवार को राजनितिक में आए 45 साल हो चुके है. लेकिन मुझ पर मेरा कितना भी घोर विरोधी क्यों न हो वो मुझपर ऊँगली उठाने से पहले हज़ार बार सोचेगा.
नई नहीं पुरानी जंग है पायलट और गहलोत की
दरअसल दोनों की बिच की लड़ाई आज की नहीं बल्कि, साल 2018 में जब गहलोत की सरकार बनी, तभी से ही सचिन पायलट ने विरोध का सुर दिखाना शुरू कर दिया था. 2020 में जब सचिन पायलट 22 कांग्रेसी विधायकों को लेकर मानेसर पहुंच गए थे, सरकार हिल चुकी थी. गहलोत ने किसी तरह अपनी सरकार बचाई। अब 11 अप्रैल को पायलट ने दोबारा से अनशन कर सवाल उठाए. पायलट का कहना है गहलोत ने भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई नहीं की, इसलिए धरने पर बैठना पड़ रहा है.
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