पटना में चाय के प्याले में तूफान आया हुआ है। खबर है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विधानसभा भंग करके पलटी मार सकते हैं? सोशल मीडिया में इसे लेकर हलचल मची है। इस सवाल के जवाब में जद(यू) के राष्ट्रीय प्रवक्ता और नीतीश कुमार के राजनीतिक सलाहकार केसी त्यागी का कहना है कि यह खबर या अफवाह भाजपा की फैलाई हुई है। केसी त्यागी का कहना है कि केन्द्रीय मंत्री अमित शाह ने इंटरव्यू दिया था। इसमें उन्होंने कहा था कि प्रस्ताव आने पर विचार किया जाएगा। त्यागी ने कहा कि लोगों को बताना चाहिए कि क्या जद(यू) ने ऐसा कोई प्रस्ताव दिया है, जिसपर अमित शाह विचार करेंगे?
केसी त्यागी इसके बाद कुछ नहीं बोले। क्योंकि इस तरह की अफवाह या खबर को पहली हवा उन्हीं के बयान ने दे दिया था। जिस दिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पार्टी की कमान अपने हाथ में ले ली, उसी दिन त्यागी ने अपने सदाबहार वाक्य को दोहराया और कहा था कि राजनीति में कोई किसी का स्थायी दोस्त या दुश्मन नहीं होता। पूर्व अध्यक्ष ललन सिंह का इस्तीफा हुआ ही था, लिहाजा संभावनाओं पर मीडिया में खूब खबरें चलीं। हालांकि पटना में सियासत तेज है और कहा जा रहा है कि नीतीश इतिहास दोहरा सकते हैं।
क्यों उठ रहा है राजनीतिक बवंडर?
अमित शाह का इंटरव्यू आने और विचार करने का संकेत देने के बाद भाजपा ने नीतीश कुमार के खिलाफ अपने बयानों में तल्खी घटा दी। पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने नीतीश कुमार के एनडीए में लौटने की संभावना का स्वागत करना शुरू कर दिया।चिराग पासवान ने भी अपनी भाषा में नीतीश कुमार के प्रति पहले वाली तल्खी नहीं दिखाई। बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी नीतीश कुमार के पुराने साथी हैं। उन्होंने अवसर की नजाकत भांपकर बयान देना शुरू कर दिया। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी के बयान भी राजनीतिक कूटनीति से भरे आने लगे। नीतीश कुमार से गले मिले और फिर छिटकने वाले उपेन्द्र कुशवाहा ने भी कहा कि नीतीश कुमार राजद के नेताओं के व्यवहार से तंग हैं। इन बयानों के बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राबड़ी आवास पर पीछे के गेट से गए। राजद प्रमुख ने उन्हें दही चिवड़ा का तिलक नहीं लगाया। अमित शाह के बयान पर चर्चा के बाद लालू प्रसाद यादव और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री से मिलने न केवल उनके आवास पर गए, बल्कि देर तक चर्चा की।