प्रदोष पूजा: भगवान शिव के भक्तों के लिए महत्वपूर्ण त्योहार

Pradosh Pooja
Som Pradosh Vrat 2023

प्रदोष पूजा (Pradosh Pooja) हिन्दू धर्म में एक विशेष उत्सव है जो हर माह के त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। इस पूजा का मुख्य उद्देश्य भगवान शिव (Bhagwan Shiv) की आराधना करना है और उनकी कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करना है।

इस पूजा का नाम ‘प्रदोष’ (Pradosh Vrat) है जो संस्कृत भाषा में अर्थात् ‘संध्याकाल’ का होता है। इस दिन शिव पूजा के लिए विशेष विधि के अनुसार विधिवत दीप जलाकर पूजा की जाती है। इस दिन शिवजी की आराधना के लिए बेल पत्र, धातू, बिल्व पत्र, शमी पत्र, धूप, दीप, अक्षत, नारियल आदि उपयोग किए जाते हैं। शिव चालीसा, शिव तांडव स्तोत्र, शिव महिम्नस्तोत्र, शिव अस्तोत्र समेत अन्य पूजा पाठ भी किए जाते हैं।

प्रदोष पूजा का महत्व (Pradosh Pooja)

इस प्रदोष पूजा का विशेष महत्व है क्योंकि इस दिन शिव की पूजा करने से संसार के सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है। इस प्रदोष काल को शिव और पार्वती के भक्तों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस समय शिव अपने भक्तों के सभी कष्टों को दूर करने की कृपा करते हैं।

प्रदोष काल के दौरान शिव पूजा करने से शिव का आशीर्वाद मिलता है और उनकी कृपा से सभी भक्तों के जीवन में समृद्धि और सुख का आभास होता है। इस पूजा के दौरान भक्त शिव की भक्ति के साथ भजन गाते हैं और शिव महिमा को गुणगान करते हैं।

प्रदोष पूजा का उत्सव दक्षिण भारत में विशेष रूप से मनाया जाता है। तमिलनाडु में इसे ‘प्रदोषम’ कहा जाता है और इस दिन भक्त शिव मंदिरों में जाते हैं और पूजा करते हैं। इसके अलावा, केरल में इस दिन अशोक पूजा के नाम से भी जाना जाता है।

उपाय

इस प्रदोष पूजा के दिन भक्तों को विशेष रूप से शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है और उनके जीवन में सभी प्रकार की कठिनाइयों का हल मिलता है। इसके अलावा, इस पूजा के दौरान भक्त नीम के पत्तों से बनाई गई गिलौड़ी को शिवलिंग के ऊपर चढ़ाते हैं और भक्तों को शिव का वरदान मिलता है। इस पूजा के दौरान भक्तों को पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और तुलसी का पत्ता) का भोग चढ़ाकर शिव की पूजा की जाती है।

इस प्रदोष पूजा को करने से न केवल शिव की कृपा मिलती है, बल्कि यह समस्त जीवन को सुखमय बनाने में भी सहायक होती है। इस पूजा को नियमित रूप से करने से शिव की आशीर्वाद सदैव भक्तों पर बना रहता है और उनके जीवन में खुशियों का आविर्भाव होता है।

अंततः, प्रदोष पूजा शिव और पार्वती के भक्तों के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण त्योहार है।